कोरोना से जूझ रही देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और देश में विकास की गति का पहिया और तेज घुमाने के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए बजट पेश कर दिया। वहीं बजट में वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं करके आम आदमी को निराश किया है। बजट को लेकर अर्थशास्त्री और टैक्स के जानकार क्या सोचते है इसको लेकर वेबदुनिया ने अर्थशास्त्री आदित्य मनियां जैन और चार्टर्ड अकाउंटेंट नवनीत गर्ग से बजट को समझने की कोशिश की।
चुनाव को अनदेखा कर विकास पर फोकस बजट-अर्थशास्त्री आदित्य मनियां जैन कहते हैं कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का बजट भाषण विकास को बढ़ावा देने वाला है। सरकार ने पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों को अनदेखा कर भारत की ग्रोथ पर फोकस किया है, जो एक अच्छी बात है। वहीं नेशनल इकॉनामी की ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए इसे एक संतुलित बजट कहा जा सकता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि वित्त मंत्री का यह एक संभाला हुआ बजट पेश किया है। सरकार चाहती है कि आने वाले 25 सालों में दुनिया की बड़ी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां भारत आए और सरकार ने इसके लिए इन्फॉस्ट्रक्चर पर बड़ा खर्च करना होगा।
बजट से भारत में 2 करेंसी के दौर का आगाज- चार्टर्ड अकाउंटेंट नवनीत गर्ग इसे बैलेंस बजट बताते हुए कहते हैं कि आम आदमी को फायदा देने की बजाए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस किया गया है। वहीं बजट की सबसे बड़ी बात है क्रिप्टो करेंसी को लेकर अब तक जो असमंजस की स्थिति बनी हुई थी, वह अब बजट से दूर हुई है। सरकार ने साफ कर दिया है कि भारत में जिन लोगों के पास क्रिप्टो करेंसी है उस पर अब 30 फीसदी का टैक्स लगेगा।
एक महत्वपूर्ण बात यह है कि बजट भाषण में यह साफ नहीं है कि क्रिप्टो करेंसी लीगल टेंडर होगी या नहीं। यानि क्रिप्टो करेसी के उपयोग से खरीददारी की जा सकेगी। अगर क्रिप्टो करेंसी को लीगल टेंडर किया जा जाता है तो इकॉनामी में बूस्ट आएगा। वह वित्तमंत्री के बजट भाषणा को 10/8 नंबर देते है। बजट में पूरा फोकस आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाने के लिए किया गया है।