वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर 8 से 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान। 2021-22 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रहने की संभावना।
आर्थिक गतिविधियां महामारी-पूर्व स्तर पर लौटीं। अर्थव्यवस्था 2022-23 की चुनौतियों से निपटने में बेहतर तरीके से सक्षम।
टीकाकरण दायरा बढ़ने से 2022-23 में वृद्धि दर को समर्थन मिलेगा। आपूर्ति व्यवस्था में सुधार तथा नियमों को सुगम बनाए जाने से लाभ।
अगले वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान कच्चे तेल की 70-75 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर आधारित। फिलहाल कच्चे तेल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल पर है।
महामारी के कारण हुए नुकसान से निपटने के लिए भारत की आर्थिक प्रतिक्रिया मांग प्रबंधन के बजाय आपूर्ति-पक्ष में सुधार पर केंद्रित रही है।
निर्यात में मजबूत वृद्धि और राजकोषीय गुंजाइश होने से पूंजीगत व्यय में तेजी आएगी, जिससे अगले वित्त वर्ष में वृद्धि को समर्थन मिलेगा।
वित्तीय प्रणाली अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए समर्थन देने की बेहतर स्थिति में, निजी निवेश तेज होगा।
सरकार के निजीकरण को गति देने के लिए एयर इंडिया का विनिवेश महत्वपूर्ण कदम, सभी क्षेत्रों में निजी भागीदारी का आह्वान।
वित्त वर्ष 2020-21 में महामारी के दौरान घाटे में वृद्धि और कर्ज संकेतक बढ़ने के बाद वर्ष 2021-22 में सरकार की वित्तीय स्थिति में मजबूती आएगी।
भारत ने खुद को नाजुक स्थिति वाले पांच देशों से चौथे सबसे बड़े विदेशी मुद्रा भंडार वाले राष्ट्र में बदला। इससे नीतिगत मोर्चे पर कदम बढ़ाने की गुंजाइश बढ़ी।
उच्च थोक मुद्रास्फीति का एक कारण तुलनात्मक आधार है। यह दूर होगा। आयातित मुद्रास्फीति खासकर वैश्विक ऊर्जा कीमतों में तेजी से सतर्क रहने की जरूरत।
वैश्विक कंटेनर बाजार में बाधाएं अभी दूर नहीं हुईं। वैश्विक समुद्री व्यापार को अभी प्रभावित करेगा।
तिलहन, दलहन और बागवानी के साथ फसल विविधीकरण को प्राथमिकता देने की जरूरत।
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने तथा भारत के 2070 तक शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए वित्त पोषण महत्वपूर्ण।