Union Budget 2024-25: मोदी सरकार 3.0 के बजट से आम आदमी की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। आम आदमी को उम्मीद है कि सरकार महंगाई पर नियंत्रण के लिए कुछ नई घोषणाएं कर सकती है, वहीं नौकरीपेशा वर्ग इस बात की उम्मीद लगाए बैठा है कि सरकार टैक्स में कुछ रियायत देगी और उसकी बचत में वृद्धि होगी। हालांकि टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाए जाने की उम्मीद कम ही है। चूंकि इस साल महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव है, इसलिए मोदी सरकार बजट में कुछ आकर्षक घोषणाएं कर सकती है।
नौकरीपेशा वर्ग को इस तरह राहत दे सकती हैं वित्तमंत्री : जानकारों की मानें तो सरकार आयकर छूट की सीमा को भले नहीं बढ़ाएगी, लेकिन स्टेंडर्ड डिडक्शन के माध्यम से नौकरीपेशा वर्ग को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण राहत दे सकती हैं। माना जा रहा है कि स्टेंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर 1 लाख तक किया जा सकता है। वर्तमान में यह सीमा 50 हजार तक की है। यह सैलरीड पर्सन को खर्चे के एवज में दिया जाता है। इसके लिए कोई भी दस्तावेज लगाने की जरूरत नहीं होती।
हालांकि कुछ लोग यह भी मान रहे हैं कि चुनाव के मद्देनजर सरकार आयकर की सीमा को बढ़ाकर 10 लाख तक कर सकती है। चूंकि मोदी सरकार को लोकसभा चुनाव में तगड़ा झटका लगा है, इसलिए तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में कोई रिस्क लेना नहीं चाहेगी। हरियाणा चुनाव को देखते हुए सरकार किसानों के लिए भी राहत की घोषणा कर सकती है।
70 साल के ऊपर के बुजुर्गों को मिल सकता है फायदा : विशेषज्ञों की मानें तो सरकार बजट में एनपीएस और आयुष्मान भारत पर कुछ घोषणाएं कर सकती है। दरअसल, पेंशन योजनाओं को लेकर राज्यों के स्तर पर काफी चर्चा हुई है। केंद्र सरकार ने नई पेंशन प्रणाली को लेकर समिति भी गठित की थी। ऐसे में दोनों योजनाओं में कुछ घोषणाओं की सरकार से उम्मीद है। यह भी कहा जा रहा है कि 70 साल से ऊपर के सभी नागरिकों को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान योजना के दायरे में लाया जा सकता है।
क्या कहा पूर्व वित्त मंत्री ने : पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि केंद्रीय बजट में मुद्रास्फीति पर काबू पाने और आर्थिक वृद्धि को गति देने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। सिन्हा ने कहा कि देश में गरीबी उन्मूलन के लिए अर्थव्यवस्था 8 प्रतिशत की दर से बढ़नी चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे सिन्हा अब ममता बनर्जी की पार्टी से सांसद हैं।
सिन्हा ने पिछले 10 साल में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर लाने के नरेन्द्र मोदी सरकार के दावे पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि अगर सिर्फ 5 करोड़ लोग गरीब हैं तो हम 82 करोड़ लोगों को मुफ्त भोजन क्यों दे रहे हैं। यह एक बड़ा विरोधाभास है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि बजट में सरकारी खर्च को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए जिससे केंद्र की बाजार उधारी कम हो जाएगी।
एमएसपी की कानूनी गारंटी : दूसरी ओर, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने केंद्रीय बजट पेश किए जाने से एक दिन पहले कहा कि इस बजट में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की घोषणा करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तमाम विफलताओं में से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की क्षमताहीनता और दुर्भावना से भरा व्यवहार सबसे अधिक हानिकारक है। रमेश के मुताबिक, 2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में संप्रग ने 72,000 करोड़ रुपए का कृषि ऋण माफ किया था, जिससे बड़ी संख्या में किसानों को लाभ हुआ था।