क्या राजशाही पर भारी पड़ेगा नीला झंडा?

संदीप श्रीवास्तव

सोमवार, 27 फ़रवरी 2017 (12:19 IST)
उत्तरप्रदेश के गोंडा जनपद के करनैलगंज विधानसभा के इतिहास में आजादी के बाद से लेकर  पिछली विधानसभा 2012 तक 2 राजघरानों का ही वर्चस्व रहा है, कोई तीसरा अभी तक अपना  पैर जमाने में कामयाब नहीं हो सका।

 
गोंडा जिले के करनैलगंज विधानसभा में 2 राजघराने हैं- एक बरगदी कोट, दूसरा भभवा कोट।  आजादी के बाद से इस विधानसभा पर इन्हीं राजघरानों में से कोई न कोई यहां से नेतृत्व  बराबर करता रहा है। पिछले 4 दशकों के बीते चुनाव पर नजर डालें तो आंकड़े भी इन्हीं 2  घरानों पर आकर समाप्त होते हैं।
 
वर्ष 1977 के चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी त्रिवेणी सिंह ने  भभवा राजघराने के उमेश्वर प्रताप सिंह को हराकर जीत हासिल की थी। 1980 के विधानसभा  चुनाव में उमेश्वर प्रताप सिंह कांग्रेस से विजयी हुए। 1985 के चुनाव में भी उमेश्वर प्रताप सिंह  कांग्रेस से विजयी हुए। वर्ष 1989 में बदलाव हुआ और इस विधानसभा सीट पर बरगदी कोट  राजघराने के अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया निर्दलीय ही चुनाव जीतकर विजयी हुए। 
 
वर्ष 1991 से 1996 तक इसी का वर्चस्व रहा। अजय प्रताप सिंह इस बार भाजपा से जीते रहे।  वर्ष 2002 में इस विधानसभा के मतदाताओं ने राजघराने को फिर बदला और दूसरे राजघराने  के बसपा प्रत्याशी योगेश प्रताप सिंह विजयी हुए, लेकिन 2007 के चुनाव में फिर पुन: बरगदी  कोट राजघराने के अजय प्रताप सिंह कांग्रेस से जीत हासिल किए। 2008 के चुनाव में भी इसी  घराने का कब्जा रहा, बस प्रत्याशी बदल गए। 
 
इस चुनाव में महिला प्रत्याशी कुं. ब्रज सिंह (लल्ला भैया की बहन) ने चुनाव में बसपा से जीत  दर्ज की। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में फिर मतदाताओं ने दूसरे राजघराने के योगेश  प्रताप सिंह को समाजवादी पार्टी से जीत दर्ज कराई।
 
लेकिन इस बार के 2017 के विधानसभा चुनाव में भभवा राजघराने से उत्तरप्रदेश सरकार में  मंत्री व समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी योगेश प्रताप सिंह तो दूसरी तरफ बरगदी राजघराने से  अजय प्रताप सिंह इस बार भारतीय जनता पार्टी से उम्मीदवार हैं और वहीं बहुजन समाज पार्टी  ने इस विधानसभा चुनाव में ब्राम्हण प्रत्याशी संतोष तिवारी को मैदान में उतारा है जिससे यहां  का मुकाबला बड़ा ही दिलचस्प हो गया है।
 
वैसे तो यहां के इतिहास में जीत केवल इन्हीं 2 राजघरानों के प्रत्याशियों को ही मिली है किंतु  मतदाता के रुख का कुछ नहीं कहा जा सकता। वो सब कुछ करने में सक्षम है लेकिन इस  समय वह शांत है।

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