लखनऊ। उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 का बिगुल बज चुका है लेकिन या बिगुल बजते ही उत्तरप्रदेश की सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी में साफतौर पर भगदड़ देखने को मिल रही है। जिसके चलते मंगलवार को जहां बीजेपी के कद्दावर नेता व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य इस्तीफा दे दिया तो वही बीजेपी के नेता व मंत्री दारा सिंह ने भी इस्तीफा दे दिया। इन दोनों के इस्तीफे के बाद 2 दिन के अंदर कई विधायकों ने भी बीजेपी का साथ छोड़ दिया। लेकिन इन सब के बीच सवाल उठने लगा कि इस भगदड़ का जिम्मेदार कौन? लेकिन जो जवाब निकलकर आया वह बेहद चौंकाने वाला आया। चाहे बीजेपी के नेताओं की बात करें या फिर वरिष्ठ पत्रकारों की, सभी ने इसका जिम्मेदार किसी और को नहीं बल्कि पार्टी संगठन को ही बता डाला। आइए आपको बताते हैं किसने क्या कहा?
नेताओं व कार्यकर्ताओं की होती रही उपेक्षा : उत्तरप्रदेश के कानपुर, लखनऊ, रायबरेली, कानपुर देहात, उन्नाव, फर्रुखाबाद, कन्नौज, प्रयागराज, फतेहपुर इत्यादि जगहों के बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ताओं व वरिष्ठ नेताओं से बातचीत की तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चुनाव के ठीक पहले जो कुछ हो रहा है यह तो बहुत दिन पहले होना था लेकिन कई बार स्थितियां ऐसी आईं कि प्रदेश स्तर पर मामले को संभाल लिया गया और कई बार केंद्रीय स्तर पर मामले को संभाला गया। अगर आप थोड़ा सा पीछे जाएं तो बगावत के सुर तो उसी दिन सुनाई दे गए थे, जब लगभग 100 विधायकों ने योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और यह बात किसी से छुपी नहीं है, आप सभी को पता है। लेकिन उस दौरान केंद्रीय संगठन ने आगे बढ़कर पूरे मामले को संभाल लिया था। लेकिन फिर भी कुछ दिनों के बाद योगी सरकार में मंत्री रहे ओमप्रकाश राजभर ने सत्ता के लालच को छोड़ते हुए बीजेपी को अलविदा कह दिया था और उसके पीछे की मुख्य वजह कुछ और नहीं थी बल्कि पूरी सरकार को मात्र कुछ लोग को छोड़कर बोलने तक का अधिकार नहीं था। सीधे तौर पर कह सकते हैं कि अपनी बात तक रखने का अधिकार नहीं था। अब चाहे आप उन्हें बागी कहें या फिर दलबदलू कहें। कई कार्यकर्ताओं ने तो यहां तक कहा कि चुनाव आ गया है और हमने पार्टी के लिए बहुत लंबे समय काम किया है लेकिन इस बार अपने परिवार को समय देंगे, क्योंकि संगठन के लिए कुछ भी कर दो लेकिन चंद लोगों को छोड़कर हमारी सुनने वाला कोई नहीं है।
क्या बोले वरिष्ठ पत्रकार : वरिष्ठ पत्रकार अतुल कुमार व राजीव सिंह की मानें तो भारतीय जनता पार्टी को एक के बाद एक मंत्री के इस्तीफे से निश्चित तौर पर नुकसान होगा और इसके पीछे की मुख्य वजह लंबे समय से पार्टी के अंदर ही एक-दूसरे के प्रति बना मनमुटाव सबसे बड़ा कारण है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को उस समय ही सचेत हो जाना चाहिए था जिस समय पार्टी पर ओमप्रकाश राजभर ने गंभीर आरोप लगाकर मंत्री पद से इस्तीफा देकर बीजेपी से सारे नाते खत्म कर लिए थे। उत्तरप्रदेश के जो हालात बन रहे हैं, उससे एक बात तो साफ हो गई है कि उत्तरप्रदेश की चुनावी जंग पिछड़े बनाम अगड़े में सिमटती जा रही है। यह मात्र संयोग नहीं है कि पिछड़े वर्ग से आने वाले दोनों मंत्रियों ने अपने इस्तीफे में पिछड़ों के प्रति उपेक्षात्मक रवैए की ही बातें लिखी हैं। ऐसे में भाजपा के लिए आने वाले समय में कड़ी चुनौती मिलती नजर आ रही है।