सबसे ज्यादा ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम मतदाताओं की खामोशी तीसरे चरण में राजनीतिक दलों को डरा रही हैं क्योंकि माना जा रहा है कि इस बार के चुनाव में दलित व ब्राह्मण वोटर बिखरा हुआ है और जहां यह बड़ी तादाद में ब्राह्मण मतदाता भारतीय जनता पार्टी के साथ जाता था और वह दलित मतदाता बड़ी तादाद में बहुजन समाज पार्टी के साथ रहता था और खुलकर मतदान के दिन चुनावी मैदान में दिखाई भी पड़ता था।
लेकिन इस बार इनकी खामोशी ने दोनों ही दलों की धड़कनों को बढ़ा रखा है और वही मुस्लिम मतदाता 2017 में बिखर गए थे और माना जा रहा था कि 2017 में मुस्लिम महिलाओं का मत भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में गया है और मुस्लिम मतदाता 2017 में जमकर बिखरा हुआ था लेकिन इस बार 2022 में मुस्लिम मतदाता एकमत होकर एक ही दल को गए हैं।
अब ऐसी स्थिति में कौनसे राजनीतिक दल का कौनसा प्रत्याशी किस विधानसभा में जीत रहा है यह कह पाना बेहद असंभव हो गया है।इसको लेकर राजनीतिक जानकारों वरिष्ठ पत्रकार अतुल मिश्रा की मानें तो वह कहते हैं कि तीसरे चरण के मतदान में जो सबसे बड़ी बात खुलकर सामने आई है यह है कि तीसरे चरण का मतदान किसी जाति-धर्म को लेकर नहीं हुआ है और सबसे बड़ा मुद्दा युवाओं के बीच रोजगार का रहा है।
जिसके चलते रोजगार मुद्दा हर जाति के ऊपर हावी रहा है और सबसे बड़ी बात यह रही है कि ब्राह्मण,दलित व मुसलमान खुलकर किसी भी दल की बात करते हुए नजर नहीं आया और मतदान के दौरान घर से निकले मतदाता खुलकर किसी भी प्रत्याशी की बात भी नहीं कर रहे थे और सबकी राय घूम-फिरकर सभी प्रत्याशियों पर आकर टिक रही थी।
जिसके चलते तीसरे चरण के चुनाव में भाजपा,कांग्रेस,बसपा व समाजवादी पार्टी हर जगह पर लड़ाई में नजर आ रही थी लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा था कि मतदाता का झुकाव किस तरफ है।इसलिए आपको साफतौर पर बता दें इस बार खामोश मतदाता राजनीतिक दलों के गणित को बिगाड़ने जा रहा है।