इसके चलते चाचा और भतीजे की पार्टी का गठबंधन अन्य दलों के लिए सिरदर्द बन सकता है और सबसे ज्यादा नुकसान सत्ता में काबिज बीजेपी को उठाना पड़ा सकता है। सीधे तौर पर कह सकते हैं कि बीजेपी द्वारा समाजवादी पार्टी को रोकने के लिए तैयार की गई रणनीति को चाचा व भतीजे के होने वाले गठबंधन ने धराशाही कर दिया है और अब बीजेपी को समय रहते चाचा और भतीजी के खिलाफ नए सिरे से चुनावी रणनीति बनानी होगी।
इस लड़ाई में रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव हार गए और भाजपा के प्रत्याशी जीत गए। लोकसभा चुनावों में शिवपाल यादव की पार्टी को सिर्फ 0.3% वोट मिले। हालांकि ज्यादातर जगहों पर शिवपाल ने सपा को नुकसान पहुंचाया। 2017 में जसवंतनगर विधानसभा सीट से जीते शिवपाल यादव को 63% से ज्यादा वोट मिले थे। सपा 2017 में 311 सीट पर चुनाव लड़ी थी। तब उसे 22% वोट मिले थे।