तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ
, खिलौने दे के बहलाया गया हूँ
क़रीब मौत खड़ी है, ज़रा ठहर जाओ
क़ज़ा से आँख लड़ी है, ज़रा ठहर जाओ
दिल में 'ख़्याल-ए-नर्गिस-ए-जानाना' आ गया
फूलों से खेलता हुआ दीवाना आ गया
मैं बे अदब हुआ कि वफ़ा में कमी हुई
, होठों पे क्यों है 'मोहरेख़मोशी'लगी हुई
कहते हैं जिसे अब्र वो मैखाना है मेरा
, जो फूल खिला बाग़ में पैमाना है मेरा
है दिल को शौक़ उस बुत-ए-क़ातिल की दीद का
होली का रंग जिस को लहू है शहीद का
'हाली' निशात-ए-नग़मा-ओ-मय ढूंडते हो अब
आए हो वक़्त-ए-सुबह रहे रात भर कहाँ
है मेरा हर्फ़-ए-तमन्ना, तेरी नज़र का क़ुसूर
तेरी नज़र ने ही ये हौसला दिया था मुझे
सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या
केहती है तुझ को खल्क़-ए-खुदा ग़ाएबाना क्या
वो सुनकर हूर की तारीफ़, परदे से निकल आए
कहा फिर मुस्कुराकर, हुस्न-ए-ज़ेबा इस को कहते हैं
आ रहे हैं मुझको समझाने बहुत
, अक़्ल वाले कम हैं दीवाने बहुत
दिलनशीं ज़ुल्फ़ का आहंग लगे, हर अंधेरा मुझे गुल रंग लगे...
वो सुनकर हूर की तारीफ़, परदे से निकल आए
कहा फिर मुस्कुराकर, हुस्न-ए-ज़ेबा इसको कहते हैं
वो इत्तेफ़ाक़ से रस्ते में मिल गया था मुझे
, मैं देखता था उसे और वो देखता था मुझे
यही है खाक नशीनों की ज़िन्दगी की दलील
क़ज़ा से दूर है ज़र्रों का इंकिसारे जमील
वो जो हम में तुम में क़रार था, तुम्हें याद हो कि न याद हो
वही यानी वादा निबाह का, तुम्हें याद हो क