वैसे तो रोशनी के लिए क्या नहीं किया
लेकिन किसी चिराग़ पे क़ब्ज़ा नहीं किया
किस दिन हमें मिला न पयाम...
खिजा ने लूट ली, जब से बहार की सूरत
रही न बाकी गुलों में करार की सूरत
घर की चिंता करते हैं दफ्तर में भी संसारी लोग।
बात के कितने हलके हैं ये पत्थर से भी भारी लोग॥
वह जालीम है इनायत क्या करेंगे
भलाई की हिमायत क्या करेंगे