'इंडिगो' ने 9 मई को कहा था कि दिव्यांग बच्चा 'घबराया' हुआ था इसलिए उसे रांची-हैदराबाद उड़ान में सवार नहीं होने दिया गया। इसके बाद बच्चे के माता-पिता ने भी विमान में यात्रा न करने का फैसला किया। डीजीसीए ने जनता से 2 जुलाई तक उसके प्रस्तावों पर अपने विचार व्यक्त करने को कहा था। डीजीसीए ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि उसके दिशा-निर्देशों में संशोधन से दिव्यांग लोगों को यात्रा करने में सहूलियत होगी।
संशोधित नियमों के अनुसार कि अगर विमानन कंपनी को लगता है कि विमान में यात्री की हालत बिगड़ सकती है तो उस यात्री की एक चिकित्सक से जांच करवाई जाए, जो इस संबंध में अपनी राय दे कि यात्री यात्रा करने के लिए स्वस्थ है या नहीं? नियमों के मुताबिक चिकित्सकीय राय लेने के बाद विमानन कंपनी उचित फैसला करे।
बयान के अनुसार कि यदि यात्री को विमान में यात्रा करने से रोकने का फैसला किया जाता है तो तत्काल उसे लिखित में कारण बताते हुए इसकी जानकारी दी जाए। 'इंडिगो' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रोनोजॉय दत्ता ने 9 मई को रांची हवाई अड्डे पर 7 मई को हुई घटना को लेकर खेद व्यक्त किया था और दिव्यांग बच्चे के लिए एक 'इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर' खरीदने की पेशकश की थी।