रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए सर्कुलर में कहा गया है कि सीटीएस की उपलब्धता के इस्तेमाल तथा सभी ग्राहकों को समान अनुभव प्रदान करने के लिए सीटीएस को देशभर में सभी बैंक शाखाओं में लागू करने का फैसला किया गया है। इसके तहत बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि 30 सितंबर 2021 तक उसकी शाखाएं इमेज आधारित सीटीएस प्रणाली के तहत आ जाएं। इसके लिए बैंक कोई भी मॉडल अपनाने को स्वतंत्र होंगे। बैंक इसके लिए प्रत्येक शाखा में उचित ढांचा लगा सकते हैं या फिर हब या स्पोक मॉडल का प्रयोग कर सकते हैं।
क्या है चेक ट्रंकेशन सिस्टम? : यह चेक को क्लीयर करने की एक प्रक्रिया है। इसमें जारी किए गए फिजिकल चेक को एक जगह से दूसरी जगह घूमना नहीं पड़ता है। यह चेक जिस बैंक में प्रस्तुत किया जाता है। वह यहां से अदाकर्ता बैंक शाखा तक की यात्रा करता है। इस तरह इसे क्लीयर होने में समय लगता है। रिजर्व बैंक ने कहा कि यह आब्जर्व किया गया है कि कई बैंक शाखाएं अब भी औपचारिक क्लियरिंग व्यवस्था से बाहर हैं। उनके ग्राहकों को इसकी वजह से काफी परेशानी होती है। उनका चेक निकलने में अधिक समय लगता है।
रिजर्व बैंक ने पिछले महीने सीटीएस (CTS) को लागू करने की घोषणा की थी। इसके तहत सभी बैंक शाखाओं को इमेज आधरित क्लियरिंग व्यवस्था के तहत लाया जाएगा। सीटीएस का प्रयोग 2010 से हो रहा है। इसके तहत अभी 1,50,000 बैंक शाखाएं आती हैं। सभी पूर्ववर्ती 1,219 क्लियरिंग केंद्र (ECSS) केंद्र) सितंबर, 2020 से सीटीएस के तहत स्थानांतरित हो गए हैं।
ग्राहकों को यह होगा फायदा : यह सिस्टम चेक के कलेक्शन की प्रक्रिया को तेज बना देता है। सीटीएस के तहत एक बैंक से चेक संबंधित दूसरे बैंक को चेक वास्तविक रूप से भेजने के बजाय इलेक्ट्रॉनिक रूप से उसकी तस्वीर भेजी जाती है। चेक के एक जगह से दूसरी जगह फिजिकल फॉर्म में न जाने से लागत घटती है और चेक कलेक्शन में लगने वाला वक्त भी कम हो जाता है। चेक की इलेक्ट्रॉनिक इमेज भेजे जाने से इसके अलावा चेक एक जगह से दूसरी जगह फिजिकली भेजे जाने पर उसके गुम होने या डैमेज होने का खतरा रहता है, लेकिन सीटीएस में ऐसा कोई झंझट नहीं है।