अयोध्या। राम मंदिर निर्माण शुरू होने बाद आज सोमवार को अयोध्या में देव दीपावली पर्व 51 हजार दीपक रोशन करके मनाया गया। देव दीपावली के मौके पर राम की पैड़ी को 51 हजारों दीपों से पंक्तियों में सजाया गया। 51 हजार दीपों की रोशनी से अयोध्या की सरयू नदी नहाई हुई थी। चारों तरफ दीपों का प्रकाश वहां पहुंचे लोगों को हर्षित कर रहा है।
अयोध्या में सरयू आरती करने के बाद इन 51 हजार दीप श्रृंखलाओं को प्रज्वलित करके राम स्वरूप की आरती करते हुए देव दीपावली मनाई गई। कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली दीप श्रृंखला को देवताओं की दीपावली कहा जाता है। इस अवसर पर अयोध्या के जिला अधिकारी अनुज कुमार झा, डीआईजी दीपक कुमार और संत महंत राजकुमार दास मौजूद रहे।
कार्तिक मास की अमावस्या को लंकापति रावण का वध करके 14 वर्ष का वनवास पूर्ण करके भगवान राम अयोध्या वापस आए थे, इसलिए अयोध्यावासियों ने उत्साहित होकर दीप जलाए थे। उसे दीपावली कहते हैं। वहीं कार्तिक मास की पूर्णिमा को किया जाने वाला दीपदान 'देव दीपावली' कहा जाता है।
कार्तिक मास की पूर्णिमा को देव दीपावली के लिए एक कथा प्रचलित है कि एक बार पृथ्वी पर त्रिपुरासुर राक्षस का आतंक फैल गया था। हर कोई त्राहि-त्राहि कर रहा था, तब देवगणों ने भगवान शिव से एक राक्षस के संहार का आग्रह किया। शिव ने देवगणों के निवेदन को मानते हुए त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के संहार से देवता बेहद खुश हुए और शिव के प्रति आभार प्रकट करने काशी आए।
आज देव दीपावली के मौके पर शिकागो से आई एक महिला ने भी दीपदान किया। शिकागो से आई महिला का कहना था कि रामनगरी में देव दीपावली के दिन दीपक रोशन करके वह धन्य हो गई। राम पैड़ी पर इतनी बड़ी संख्या में दीपों के प्रभासित करने वाले भक्तों का कहना है कि देवताओं की दीपावली में दीपक जलाने का मौका हर किसी को नही मिलता है। जिन लोगों ने दीप जलाए हैं, वे सौभाग्यशाली हैं।
अयोध्या में इस बार की दीपावली और देव दीपावली बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि भगवान राम खुद अयोध्या आ गए हैं और उनका भव्य मंदिर भी बनना शुरू हो गया है। वहीं लोगों का कहना है कि इस बार 51 हजार दीपक जलाए गए है, आगामी वर्ष में इससे अधिक दीये सरयू में राम पैड़ी को रोशन करेंगे।