उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान पर सियासी बवाल मच गया है। सीएम योगी ने विधानसभा में उर्दू भाषा पर बयान दिया था। इसी बयान पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने शायराना अंदाज में सीएम योगी के बयान पर निशाना साधा है। औवेसी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी के अनुसार उर्दू पढ़ना कठमुल्लाओं की तरह मौलाना बनाने की बात है। इससे साफ है कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री को उर्दू नहीं आती, लेकिन वे वैज्ञानिक क्यों नहीं बने इसका जवाब तो वही दे सकते हैं।
क्या कहा था सीएम योगी ने : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि ये लोग उर्दू पढ़ाकर दूसरे के बच्चों को मौलवी बनाना चाहते हैं, देश को कठमुल्लापन की तरफ ले जाना चाहते हैं, यह कतई स्वीकार नहीं होगा। उन्होंने कहा था कि समाजवादी पार्टी भोजपुरी, बुंदेलखंडी और अवधी का विरोध क्यों कर रही है। यही सपा का ढोंग हैं। सपा के लोग दोहरे चरित्र वाले हैं। यह बड़ी विचित्र बात है समाजवादी पार्टी वाले उर्दू की वकालत कर रहे हैं।
ओवैसी ने कहा कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री जिस विचारधारा से आते हैं, उस विचारधारा से किसी ने भी इस देश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से आते हैं। रघुपति सहाय फिराक भी उसी गोरखपुर से आते हैं। वे एक प्रसिद्ध उर्दू कवि थे, लेकिन वे मुस्लिम नहीं थे। आज बड़ा अनाप-शनाप बोल रहे हो, बोलते जाओ।
उन्होंने कहा कि लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने ऐलान किया कि जो कोई भी भारत के संसद में लिखित में भाषण देगा। उसका अनुवाद उर्दू में भी किया जाएगा। अब आप लोकसभा स्पीकर को क्या बोलेंगे। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री को ये भी नहीं मालूम की उर्दू उत्तर प्रदेश की तहजीब का हिस्सा है। आरएसएस और प्रधानमंत्री मोदी को नहीं पता कि हर मुसलमान उर्दू नहीं बोलता, बल्कि यह मुस्लिमों की जुबां नहीं है। ये इस देश की आजादी की जुबां रही है। इस मुल्क की जुबां है। आप केरल या कर्नाटक चले जाइए वहां के मुसलमान उर्दू नहीं बोलते हैं, अलग भाषा बोलते हैं।