शासकीय अधिवक्ता अजय तिवारी ने बताया कि भड़काऊ भाषण देने के मामले में रामपुर से सपा विधायक आजम खां के खिलाफ दर्ज मुकदमे में रामपुर की विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने उन्हें आईपीसी की धारा 153-ए (धार्मिक भावनाएं भड़काना), 505-ए (विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से असत्य कथन) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 (चुनाव के सिलसिले में विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य बढ़ाना) के तहत दोषी करार देते हुए उन्हें तीन साल कैद और 25 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।
विधायकी पर लटकी तलवार : अदालत के इस फैसले के कारण आजम की विधानसभा सदस्यता भी खत्म हो सकती है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा जुलाई 2013 में जारी दिशा-निर्देश के मुताबिक अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में दो साल से ज्यादा की सजा होती है तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) समाप्त हो जाएगी।
सजा मिलने के बाद अदालत से बाहर आते वक्त बातचीत में खां ने कहा कि यह अधिकतम सजा है। इस मामले में जमानत अनिवार्य शर्त है, उस आधार पर मुझे जमानत मिल गई है। मैं इंसाफ का कायल हो गया हूं। गौरतलब है कि आजम खां को घृणा भाषण के मामले में सजा सुनाई गई है जो जमानती मामला है और यह संभव है कि उन्हें इस मामले में जेल जाने की नौबत ना आए।
2019 का है मामला : बता दें कि आजम पर 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान मिलक कोतवाली इलाके के खातानगरिया गांव में जनसभा को संबोधित करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को भला-बुरा कहकर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। खान के इस बयान का वीडियो भी वायरल हुआ था।