मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच सहित सभी पहलुओं की निगरानी इलाहाबाद उच्च न्यायालय करेगा।
खंडपीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की उन दलीलों का भी संज्ञान लिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में अपना आदेश सुनाते हुए पीड़िता और उसके परिजनों की पहचान उजागर की है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में उच्च न्यायालय से अपने आदेश में पीड़िता और उसके परिजनों का ब्योरा हटाने का अनुरोध किया।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मेहता, राज्य पुलिस महानिदेशक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, आरोपियों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा, पीड़िता के परिजनों की ओर से सीमा कुशवाहा और एक हस्तक्षेपकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वकील इंदिरा जयसिंह ने खंडपीठ के समक्ष दलीलें पेश की थीं।