साहब क्या करते, हम डर गए थे-
अपहरणकर्ताओं के मास्टरमाइंड ज्ञानेंद्र ने 26 जून की रात का पूरा घटनाक्रम पुलिस को बताते हुए कहा कि साहब सब कुछ ठीक चल रहा था और आप लोग भी हमारे आसपास नहीं आ पा रहे थे। लेकिन संजीत का होश में आना हमारे लिए दिक्कत का सबब बन गया। हम उसे मारना नहीं चाहते थे, लेकिन वह बार-बार कह रहा था कि एक बार यहां से निकलने दो, पुलिस को सब कुछ बता दूंगा और तुम सबका भांडा फोड़ दूंगा। हमारे साथ मौजूद बहुत दर्द है। बार-बार एक ही बात बोल रहे थे कि अब क्या होगा? दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था और आखिरी में संजीत की धमकियों से डरकर उसे मौत के घाट उतार दिया। फिर शव को प्लास्टिक की बोरी में भरा और भोर सुबह कार से शव को पांडु नदी में ले जाकर फेंक दिया।
पुलिस के मुताबिक संजीत का अपहरण करने के बाद अपहर्ता समझ नहीं पा रहे थे कि फिरौती कैसे मांगें? इधर संजीत को कंट्रोल नहीं कर पा रहे थे इसलिए उसको नशे के इंजेक्शन देकर बेहोश कर रहे थे। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि पहले यह इरादा था कि पैसे लेने के बाद संजीत को मार देंगे। मगर वो भागने का प्रयास करने लगा इसलिए उसे उसी रात मार दिया। यही वजह है कि जब परिजन फोन पर उससे बोल रहे थे कि संजीत से बात करवा दो तो वो बात नहीं करवा रहे थे।