लखनऊ। उत्तरप्रदेश में चर्चा में बने रहने वाले 1992 बैच के आईपीएस अमिताभ ठाकुर के साथ अन्य 2 आईपीएस अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश दिया गया है। यह सभी केंद्रीय गृह मंत्रालय की स्क्रीनिंग में सरकारी सेवा के लिए उपयुक्त नहीं पाए गए। यूपी कैडर के तीनों ही आईपीएस स्क्रीनिंग में फेल हो गए।
तत्काल प्रभाव से अनिवार्य सेवनिवृत्ति में आईपीएस अमिताभ ठाकुर के साथ दो अन्य को अनिवार्य सेवानिवृति दी गई है। इसके बाद आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने ट्विटर के माध्यम से सरकार पर निशाना साधा है और कहा- मुझे अभी-अभी VRS (लोकहित में सेवानिवृत्ति) आदेश प्राप्त हुआ। सरकार को अब मेरी सेवाएं नहीं चाहिए। जय हिन्द! ठाकुर ने ट्विटर पर आदेश की कॉपी भी शेयर की है।
बताते चलें कि आईपीएस अमिताभ ठाकुर उस समय चर्चा में आए थे, जब उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री मुलायमसिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और लखनऊ में एक मुकदमा भी दर्ज कराया था। इसके बाद अखिलेश यादव सरकार ने ठाकुर के खिलाफ भी केस दर्ज कराया। अमिताभ ठाकुर पर विभागीय कार्रवाई भी हुई थी। उनके खिलाफ आरोप था कि 16 नवंबर 1993 को आईपीएस की सेवा प्रारंभ करते समय अपनी संपत्ति का ब्योरा शासन को नहीं दिया। उन्होंने 1993 से 1999 तक का वर्षवार संपत्ति विवरण शासन को एकमुश्त दिया था।
आरोप-पत्र में यह भी था कि अमिताभ ठाकुर के वर्षवार वार्षिक संपत्ति विवरण में काफी भिन्नताएं हैं। उन्होंने अपनी पत्नी व बच्चों के नाम से काफी में चल-अचल संपत्तियां, बैंक व पीपीएफ में भी राशि जमा की है। उनको ऋण व उपहार प्राप्त हुए थे, किन्तु उन्होंने इसकी सूचना शासन को नहीं दी।