उत्तराखंड में मिशन 2012 और विजन 2020 का नारा बुलंद करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को इस बार विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी हीरा सिंह बिष्ट कड़ी टक्कर देने में पीछे नहीं हट रहे हैं।
निशंक को उनकी पार्टी ने इस बार उनके पारंपरिक चुनाव क्षेत्र थलीसैंण से टिकट नहीं देकर देहरादून जिले के डोईवाला क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है जहां के स्थानीय निवासी तथा कांग्रेस के प्रत्याशी हीरा सिंह बिष्ट से निशंक का सीधा मुकाबला हो रहा है। हालांकि इस क्षेत्र से उत्तराखंड रक्षा मोर्चा के भार्गव चंदोला, उत्तराखंड क्रांति दल से जितेन्द्र मोहन सेमवाल, बसपा से फूल सिंह सहित 20 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
देहरादून से मुख्य हरिद्वार ऋषिकेश मार्ग पर स्थित डोईवाला क्षेत्र की कुल आबादी एक लाख 71 हजार 584 है जिसमें एक लाख छह हजार 584 मतदाता हैं। इन मतदाताओं में पुरूषों की संख्या 56176 तथा महिलाओं की संख्या 50408 है। डोईवाला में प्रमुख रूप से बद्रीपुर, नकरौंदा, मारखमघाट, दुधली, भोगपुर, सनगांव, भानियावाला, जालीग्रांट तथा रामगढ़ वन क्षेत्र भी शामिल हैं।
क्षेत्र के निवासी फूलसिंह चौहान ने बताया कि प्रमुख रूप से इस क्षेत्र की समस्या स्वास्थ्य केन्द्र पर डाक्टरों का अनुपस्थित रहना, लच्छीवाला क्षेत्र में पुल का निर्माण, सड़क पर जाम की समस्या तथा सिटी बस का नहीं होना है। इसके लिए पिछले कई बार आश्वासन दिया गया लेकिन आज तक कोई परिणाम नहीं निकल सका है।
डोईवाला क्षेत्र से पिछली बार भाजपा के त्रिवेन्द्र सिंह रावत चुनाव जीतकर राज्य सरकार में मंत्री भी बने थे लेकिन इस बार भाजपा ने उनको टिकट नहीं देकर निशंक पर दांव लगाया है। इस सिलसिले में निशंक ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने विशेष रूप से इस क्षेत्र के विकास के लिए कई कारगर कदम उठाए थे और यहां की जनता उन्हें निश्चित रूप से उसका पारितोषिक प्रदान करेगी।
निशंक ने कहा कि उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाते हुए पूरे देश में एक मिसाल कायम की और आपात वाहन सेवा 108 सेवा की शुरुआत की जिससे ने केवल इस क्षेत्र में बल्कि पूरे उत्तराखंड में लाखों लोगों को जीवनदान मिला है।
स्थानीय निवासी कमलेश सिंह ने कहा कि निश्चित तौर पर इस क्षेत्र में भाजपा एक मजबूत स्थिति में है लेकिन निशंक के खिलाफ मुख्य रूप से बाहरी उम्मीदवार होने का ठप्पा लगा हुआ है। निशंक इस विषय पर लोगों को समझाने में कितना सफल होते हैं, यह तो वक्त ही बताएगा।
निशंक के प्रमुख प्रतिद्वन्द्वी हीरा सिंह बिष्ट इसी क्षेत्र के मूल निवासी हैं और यहां से चुनाव जीत कर कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि निशंक इस राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन वह यह नहीं बता सकते कि उन्होंने इस क्षेत्र विशेष के लोगों के विकास के लिए हकीकत में क्या क्या किया है।
उन्होंने पूछा कि यदि निशंक बहुत ही योग्य मुख्यमंत्री थे तो उनकी पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से क्यों हटा दिया। बिष्ट ने कहा कि यदि निशंक का कद इतना बड़ा है तो वह आज दरवाजे दरवाजे क्यों भटक रहे हैं। उन्हें तो अपने कद का लाभ उठाना चाहिए था।
स्थानीय निवासी घनश्याम सिंह कुशवाहा ने बातचीत में बताया कि निशंक बहुत ही व्यवस्थित तरीके से अपना चुनाव संचालन कर रहे हैं और इसका लाभ भी उनको मिलेगा। भाजपा ने पिछले दो चुनावों से यहां विजय पताका हासिल की है।
शिक्षक प्रभु नेगी ने बातचीत में बताया कि बिष्ट को स्थानीय होने का लाभ मिलेगा और वह इसी आधार पर लोगों से वोट मांग रहे हैं कि जब वह जीत जाएंगे तो इसी क्षेत्र के लोगों का दुख दर्द बांटेगे लेकिन निशंक तो यहां से चले जाएंगे।
हालांकि अभी तक लोगों ने खुलकर अपनी राय प्रकट नहीं की है लेकिन सभी प्रत्याशी उम्मीद रखकर दरवाजे दरवाजे लोगों को रिझाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। (भाषा)