तेरी अंजुमन की बातें

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- अज़ीज़ अंसारी

तेरे ख़्याल, तेरी अंजुमन की बातें हैं
अजीब हाल है, दीवानापन की बातें हैं

करें वो प्यार तो वो उनका इश्क कहलाए
करूँ मैं प्यार तो, आवारापन की बातें हैं

फ़लक के चाँद की दिलकश किरन की बात नहीं
ग़जल में गाँव की चंचल किरन की बातें है

यहाँ गुलाब है, नर्गिस है, सर्व व सुम्बुल है
ये गुलसिताँ की नहीं, गुलबदन की बातें है

इसी अदा पे तो हम जाँनिसार करते हैं
तुम्हारे पास सभी बाँकपन की बातें हैं

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महकते फूल

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सैकड़ों ताजा महकते फूल आएँगे नज़र
आप अपने आपको मेरी नज़र से देखिए

तुम हो क्या ये तुम्हें मालूम नहीं है शायद
तुम बदलते हो तो मौसम भी बदल जाते हैं

मोहब्बत हो वफा हो दोस्ती हो
मोयस्सर हो तो ऐसी जिंदगी हो।

फूल बिखरे हुए हैं राहों मे
जब से वो मुझको मिल गया अज़ीज़
सारी दुनिया है, मेरी बाँहों में

इस तरह इलतिफ़ात करता है
मुँह से कुछ बोलता नहीं लेकिन
अपनी आँखों से बात करता ह

तारीफ़ इसके हुस्न की कैसे करे को
पीतल भी जिसके जिस्म पर सोना खरा लगे

हाल अपना नहीं बताएँगे
उसने पूछा अगर क़सम देकर
उसको अपनी ग़ज़ल सुनाएँगे

जुग़नू तुम्हारी याद के सब जागते रहे

यूँ कामयाब रात की साजिश नहीं हु
उसके तसव्वुरात में खोया हुआ हूँ मैं

वो भी मेरे ख़्याल में डूबा हुआ तो ह
ऐ काश वो भी ऐसे में आ जाए अचानक

मौसम बहुत दिनों में सुहाना हुआ तो ह
किसी की याद थी, सागर था, चाँदनी शब थी
कमी ये थी मेरे काँधे पे सर न था कोई।