वेलेंटाइन डे पर कविता : मुझे प्यार है...

-डॉ. पूर्णिमा श्रीवास्तव
 
मुझे हर उस लम्हे से प्यार है,
जो तुमने जिया है।
तुम अभी इस घड़ी, पल जहां हो,
उस वक्त, उस जगह से मुझे प्यार है।
 
प्यार है मुझे उस रास्ते, गलियारों से,
जहां से तुम गुजरे और निकलोगे,
जब वापस घर आओगे।
 
प्यार है मुझे उस ठौर से जहां तुम ठहरे,
उतना आसमां मुझे प्यारा है बेहद।
जिसके तले तुम हो अभी,
और वह धरा जहां तुम खड़े।
 
पर उससे ज्यादा उस नभ से,
जहां तुम नहीं,
क्योंकि वह और मैं दोनों तुम बिन है।
 
मुझे प्यार है उस उजाले से, जहां तुम, 
वह घना अंधेरा भी मेरा, जो तुम्हारा है।
 
प्यार करती हूं हर उस रस्म से,
जो तुमने निभाई,
और उससे जो कभी निभाओ।
 
प्यार है मुझे हर उस ख्याल से,
जो अभी तुम्हारे जेहन में है।
और उस भाव से जो दिल में,
उस हर बात पर मेरे दिल में,
जो तुमने सोची पर न की।
 
पर तुम्हारे हर सपने से इतर,
हकीकत मुझे प्यारी।
 
हर उस एकांत से मुझे प्यार,
जो तुमने काटा,
उस जलसे से बेहद जहां तुम थे।
 
लेकिन तुम्हारी खुशी से ज्यादा दुख से,
हासिल से ज्यादा खोने से,
बातों से ज्यादा यादों से,
होने से ज्यादा न होने से,
हां, मुझे प्यार है।
 
क्योंकि मैं तुमको सिर्फ मुझमें नहीं,
उन सब में पाती हूं जिसमें तुम हो,
मैं हर पल, हर उस जगह होती हूं,
जहां जिसके दरमियान तुम होते हो,
और उन सबसे मुझको बेहद प्यार है।
 
और उन लम्हों से ज्यादा जो तुमने मुझमें,
और मैंने तुम में बिताया है,
कहीं ज्यादा उनसे जिसने तुम बिन,
मुझे कहीं ज्यादा अपनाया है।

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