2. अपरा विद्या का ज्ञान जो धारण करती है, वह ब्रह्माजी की पुत्री है जिनका विवाह विष्णुजी से हुआ है। ब्रह्माजी की पत्नी जो सरस्वती है, वे परा विद्या की अधिष्ठात्री देवी हैं। वे मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करने वाली देवी हैं और वे महालक्ष्मी (लक्ष्मी नहीं) की पुत्री हैं।
3. शाक्त परंपरा में तीन रहस्यों का वर्णन है- प्राधानिक, वैकृतिक और मुक्ति। इस प्रश्न का, इस रहस्य का वर्णन प्राधानिक रहस्य में है। इस रहस्य के अनुसार महालक्ष्मी के द्वारा विष्णु और सरस्वती की उत्पत्ति हुई अर्थात विष्णु और सरस्वती बहन और भाई हैं। इन सरस्वती का विवाह ब्रह्माजी से और ब्रह्माजी की जो पुत्री है, उनका विवाह विष्णुजी से हुआ है।
इस तरह मतान्तर मे तीन सरस्वती का भी वर्णन आता है। इसके अन्य पर्याय या नाम हैं वाणी, शारदा, वाग्देवी, वागेश्वरी, वेदमाता इत्यादि। देवी भागवत के अनुसार विष्णु पत्नी सरस्वती वैकुण्ठ में निवास करने वाली है एवं पितामह ब्रह्मा की जिह्वा से जन्मी हैं। देवी सरस्वती का वर्णन वेदों के मेधा सूक्त में, उपनिषदों, रामायण, महाभारत के अतिरिक्त कालिका पुराण, वृहत्त नंदीकेश्वर पुराण तथा शिव महापुराण, श्रीमद् देवी भागवत पुराण इत्यादि में मिलता है। इसके अलावा ब्रह्मवैवर्त पुराण में विष्णु पत्नी सरस्वती का विशेष उल्लेख आया है।
वसंत पंचमी कथा : सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने मनुष्य योनि की रचना की, परंतु वह अपनी सर्जना से संतुष्ट नहीं थे, तब उन्होंने विष्णु जी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल को पृथ्वी पर छिड़क दिया, जिससे पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई। जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। जब इस देवी ने वीणा का मधुर नाद किया तो संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई, तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा।