कड़कड़ाती ठंड के अंतिम पड़ाव के रूप में वसंत ऋतु का आगमन प्रकृति को वासंती रंग से सराबोर कर जाता है। अंगारों की तरह दिखते पलाश के फूल, आम के पेड़ों पर आए बौर, हरियाली से ढंकी धरती और गुलाबी ठंड के इस ऋतु हिंदू धर्म के लिए बहुत महत्व है।
माघ के महीने की पंचमी को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। मौसम का सुहाना होना इस मौके को और रूमानी बना देता है। वसंत पंचमी को श्री पंचमी तथा ज्ञान पंचमी भी कहते हैं। अमेरिका में रहने वाले बंगाली समुदाय के लोग इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन वे सरस्वती पूजा का विशेष और वृहद आयोजन करते हैं जिसमें वहां का भारतीय समुदाय शामिल होता है।
कामदेव की 'मार' : वसंत कामदेव का मित्र है, इसलिए कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है। इस धनुष की कमान स्वरविहीन होती है। यानी जब कामदेव जब कमान से तीर छोड़ते हैं तो उसकी आवाज नहीं होती है। कामदेव का एक नाम 'अनंग' है यानी बिना शरीर के यह प्राणियों में बसते हैं। एक नाम 'मार' है यानी यह इतने मारक हैं कि इनके बाणों का कोई कवच नहीं है। वसंत ऋतु को प्रेम की ही ऋतु माना जाता रहा है। इसमें फूलों के बाणों से आहत हृदय प्रेम से सराबोर हो जाता है।
गुनगुनी धूप, स्नेहिल हवा, मौसम का नशा प्रेम की अगन को और भड़काता है। तापमान न अधिक ठंडा, न अधिक गर्म। सुहाना समय चारों ओर सुंदर दृश्य, सुगंधित पुष्प, मंद-मंद मलय पवन, फलों के वृक्षों पर बौर की सुगंध, जल से भरे सरोवर, आम के वृक्षों पर कोयल की कूक ये सब प्रीत में उत्साह भर देते हैं। यह ऋतु कामदेव की ऋतु है। यौवन इसमें अंगड़ाई लेता है। दरअसल वसंत ऋतु एक भाव है जो प्रेम में समाहित हो जाता है।
दिल में चुभता प्रेमबाण : जब कोई किसी से प्रेम करने लगता है तो सारी दुनिया में हृदय के चित्र में बाण चुभाने का प्रतीक उपयोग में लाया जाता है। 'मार' का बाण यदि आपके हृदय में चुभ जाए तो आपके हृदय में पीड़ा होगी। लेकिन वह पीड़ा ऐसी होगी कि उसे आप छोड़ना नहीं चाहोगे, वह पीड़ा आनंद जैसी होगी। काम का बाण जब हृदय में चुभता है तो कुछ-कुछ होता रहता है।
इसलिए तो वसंत का 'मार' से संबंध है, क्योंकि काम बाण का अनुकूल समय वसंत ऋतु होता है। प्रेम के साथ ही वसंत का आगमन हो जाता है। जो प्रेम में है वह दीवाना हो ही जाता है। प्रेम का गणित मस्तिष्क की पकड़ से बाहर रहता है। इसलिए प्रेम का प्रतीक हृदय के चित्र में बाण चुभा बताना है।