प्रकृति अपने नए आवरण में दिखने लगती है, अपना पुराना आवरण उतार कर। वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ने लगते हैं। नए गुलाबी रंग के पल्लव अवलोकित होने लगते हैं। यह दिन ज्ञान एवं बुद्धि की देवी मां सरस्वती की आराधना का दिन है।
अग्र भाग में स्थापित गणेशजी का पूजन करने के पश्चात् पृष्ठ भाग में वसंत पुंज द्वारा रति और कामदेव का पुजन किया जाता हैं। कहा जाता है कि रामदेव को फल, पुष्प अर्पित करने से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है। सामान्यतः हवन में केसर या हल्दी युक्त हलवे की आहुति दी जाती है।
इस दिन गणेशजी, सूर्य, विष्णु तथा महादेव का पूजन करने के बाद वीणा वादिनी सरस्वती मां के पूजन का विधान है। मां सरस्वती हम सब पर बुद्धि, विद्धया का आशीव आशीर्वाद दें, ताकि जीवन-पथ पर हम सहज रुप से अग्रसर हो सके।