स्लेट पर खड़िया या चॉक से या कागज पर रक्त चंदन स्याही के रूप में उपयोग करते हुए अनार की कलम से ॐ , श्रीं, अं और ‘ऐं’ लिखवा कर अक्षराभ्यास करवाएं।
बच्चे के हाथ में मोर पंख दें और उसे स्याही में डूबोकर स्वास्तिक बनवाएं।
बच्चा जब बड़ा होने लगे तब बच्चे से इस मंत्र का प्रतिदिन उच्चारण कराएं-