हमारे सनातन धर्म में त्योहारों एवं व्रतों का विशेष महत्व होता है। शास्त्रानुसार हिन्दू धर्म में कई व्रत व त्योहारों का वर्णन मिलता है। इन सभी त्योहारों व व्रतों की एक विशेष तिथि व संयोग होता है। पंचांग के अनुसार जब वह तिथि व संयोग प्राप्त होता, तब उस त्योहार व व्रत को रखना उचित होता है।
किंतु वर्तमान समय में पंचांग भेद व क्षय तिथि आदि होने के कारण कभी-कभी तिथियों को लेकर संशय उत्पन्न हो जाता है जिससे जनमानस में भ्रम का निर्माण हो जाता है। ऐसी स्थिति में विद्वानों को पंचांग भेद व मुहूर्त निर्धारण के विशेष नियमों का ध्यान रखते हुए ही तिथियों का निर्धारण कर व्रत व त्योहारों का निर्णय करना चाहिए।
वर्ष 2020 में ऐसा ही भ्रम वसंत पंचमी को लेकर भी है। कुछ पंचांगों में वसंत पंचमी 29 जनवरी को बताई गई है जबकि कुछ पंचांगों में वसंत पंचमी 30 जनवरी को बताई गई है। अत: वसंत पंचमी को लेकर धर्मावलंबियों में इस तिथि को लेकर संशय है। हम 'वेबदुनिया' के पाठकों का यह संशय शास्त्रानुसार नियम से दूर करते हुए यह बताना चाहेंगे कि वर्ष 2020 में वसंत पंचमी का 30 जनवरी, गुरुवार को ही मनाया जाना शास्त्रसम्मत व उचित है।
उदयकालीन तिथि की मान्यता-
जैसा कि हम पूर्व में भी कई बार इस नियम का उल्लेख कर चुके हैं कि जिन त्योहारों व व्रतों में दिन में पूजन इत्यादि होती है, उन सभी में उदयकालीन तिथि को ही मान्यता दी जाती है जबकि इसके ठीक विपरीत रात्रिकालीन व्रतों व त्योहारों में चंद्र व्यापिनी तिथि की ही मान्यता होती है।
वसंत पंचमी प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इसमें वसंत (जौ एवं गेहूं की बालियों को कलश में स्थापित कर) सरस्वती पूजन दिन में ही किया जाता है अत: वसंत पंचमी के निर्धारण करते समय हमें उदयकालीन तिथि को ही मान्यता देनी होगी।
खंडा तिथि वर्जित होती है-
शास्त्र का कथन है कि जो तिथि सूर्योदय से लेकर अपरान्ह तक न रहे, ऐसी तिथि खंडा तिथि होती है, जो व्रत व त्योहारों में वर्जित होती है। 29 जनवरी को उदयकालीन तिथि चतुर्थी है जबकि पंचमी 29 जनवरी को दिन में 10.45 पूर्वाह्न से लगेगी एवं 30 जनवरी को दिन में 1.39 दोपहर तक रहेगी।
जैसा कि स्पष्ट है कि शास्त्रानुसार निर्देशित उदयकालीन तिथि पंचमी 30 जनवरी को रहेगी। अत: इस वर्ष वसंत पंचमी 30 जनवरी 2020, गुरुवार को मनाई जाना शास्त्रसम्मत है।