गाओ सखी होकर मगन आया है वसंत
राजा है ये ऋतुओं का आनंद है अनंत।
पीत सोन वस्त्रों से सजी है आज धरती
आंचल में अपने सौंधी-सौंधी गंध भरती।
तुम भी सखी पीत परिधानों में लजाना,
नृत्य करके होकर मगन प्रियतम को रिझाना।
सीख लो इस ऋतु में क्या है प्रेम मंत्र
गाओ सखी होकर मगन आया है वसंत।
राजा है ऋतुओं का आनंद है अनंत
गाओ सखी होकर मगन आया है वसंत।
नील पीत वातायन में तेजस प्रखर भास्कर
स्वर्ण अमर गंगा से बागों और खेतों को रंगकर।
हो न कभी इस मोहक मौसम का अंत
गाओ सखी होकर मगन आया है वसंत।
राजा है ऋतुओं का आनंद है अनंत