Sugandh ka vastu: सुगंध से जहां घर का वास्तुदोष दूर होता है वहीं हम अपने जीवन में मनचाही सफलता भी प्राप्त कर सकते हैं। इससे न केवल वास्तु दोष दूर होता है बल्क पितृदोष, कालसर्पदोष, मंगलदोष, देवदोष और गृहदोष भी दूर हो जाते है। इससे मानसिक शांति मिलती है और शरीरिक दर्द में भी राहत मिलती है। यह सभी तरह की चिंताओं से मुक्त कर देता है। यह शीरिक कमोजोरी भी दूर करता है। आओ जानते हैं कि आखिर सुगंध या खुशबू से हम कैसे बदल सकते हैं अपना जीवन।
1. गुलाब : गुलाब के इत्र से शायद दुनिया की हर संस्कृति वाकिफ है। गुलाब बहुत ही गुणकारी फूल है, लेकिन केवल देशी गुलाब, जो सिर्फ गुलाबी और लाल रंग का होता है और जो बहुत ही खुशबूदार होता है। गुलाब का इत्र लगाने से देह के संताप मिट जाते हैं। इन फूलों का गुलकंद गर्मी की कई बीमारियों को शांत करता है। गुलाब जल से आंखों को धोने से आंखों की जलन में आराम मिलता है। गुलाब का इत्र मन को प्रसन्नता देता है। गुलाब का तेल मस्तिष्क को ठंडा रखता है और गुलाब जल का प्रयोग उबटनों और फेस पैक में किया जा सकता है।
2. चंदन : पूजन सामग्री वाले के यहां चंदन की एक बट्टी या टुकड़ा मिलता है। उस बट्टी को पत्थर के बने छोटे से गोल चकले पर घिसा जाता है। प्रतिदिन चंदन घिसते रहने से घर में सुगंध का वातावरण निर्मित होता है। सिर पर चंदन का तिलक लगाने से शांति मिलती है। देवदोष और पितृदोष दूर हो जाते है। जिस स्थान पर प्रतिदिन चंदन घीसा जाता है और गरूड़ घंटी की ध्वनि सुनाई देती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। भीनी-भीनी और मनभावन खुशबू वाले चंदन को न सिर्फ इत्र के रूप में प्रयोग किया जाता है बल्कि इसके तेल को गुलाब, चमेली या तुलसी के साथ मिलाकर उपयोग करने से कामेच्छा भी प्रबल होती है।
3. मोगरा : यह फूल भी खुशबूदार होता है। इसके फूल का भी इत्र बनता है। जल के किसी पात्र में इसके फूलों को रखने से घर का वातावरण सुगंधित रहता है। इसका इत्र लगाने से मन और मस्तिष्क शांत हो जाता है। मोगरा गर्मी में खिलता है और इसके फूलों को अपने पास रखने से पसीने की दुर्गंध नहीं आती है। इससे चिंताओं का नाश होता है।
4. केवड़ा : केवड़ा एक बेहतरीन खुशबू का फूल है। इसके इत्र की तासीर ग्रीष्म में तन को शीतलता प्रदान करती है। केवड़े के पानी से स्नान करने से शरीर की जलन व पसीने की दुर्गंध से भी छुटकारा मिलता है। गर्मियों में नित्य केवड़ायुक्त पानी से स्नान करने से शरीर में शीतलता बनी रहती है। केवड़ा हमारी स्मृतियों को मजबूत करता है।
5. रातरानी : इसके फूल रात में ही खिलकर महकते हैं। एक टब पानी में इसके 15-20 फूलों के गुच्छे डाल दें और टब को शयन कक्ष में रख दें। कूलर व पंखे की हवा से टब का पानी ठंडा होकर रातरानी की ठंडी-ठंडी खुशबू से महकने लगेगा। सुबह रातरानी के सुगंधित जल से स्नान कर लें। दिनभर बदन में ताजगी का एहसास रहेगा व पसीने की दुर्गंध से भी छुटकारा मिलेगा। रातरानी की सुगंध से सभी तरह की चिंता, भय, घबराहट आदि सभी मिट जाती है।सुगंध में इसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। अधिकतर लोग इसे अपने घर आंगन में इसलिए नहीं लगाते हैं क्योंकि यह सांप को आकर्षित करती है।
6. पारिजात : पारिजात के फूलों को हरसिंगार और शैफालिका भी कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे नाइट जेस्मिन और उर्दू में गुलजाफरी कहते हैं। पारिजात के फूल आपके जीवन से तनाव हटाकर खुशियां ही खुशियां भर सकने की ताकत रखते हैं। पारिजात के ये अद्भुत फूल सिर्फ रात में ही खिलते हैं और सुबह होते-होते वे सब मुरझा जाते हैं। यह माना जाता है कि पारिजात के वृक्ष को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकान मिट जाती है। यह फूल जिसके भी घर-आंगन में खिलते हैं, वहां हमेशा शांति और समृद्धि का निवास होता है।
7. रजनीगंधा : रजनीगंधा का पौधा पूरे भारत में पाया जाता है। मैदानी क्षेत्रों में अप्रैल से सितम्बर तथा पहाड़ी क्षेत्रों में जून से सितम्बर माह में फूल निकलते हैं। रजनीगंधा की तीन किस्में होती है। रजनीगंधा के फूलों का उपयोग माला और गुलदस्ते बनाने में किया जाता है। इसकी लम्बी डंडियों को सजावट के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इसका सुगंधित तेल और इत्र भी बनता है। इसके कई औषधीय गुण भी है।
Flowers
8. मधुमालती : लाल, गुलाबी, सफेद रंग के गुच्छों में खिलने वाली मधुमालती के फूल बहुत ही सुंदर दिखाई देते हैं। इसकी महक से आसपास का वातावरण महकता रहता है। ये फूल रंग बदलते हैं। पहले दिन सूर्योदय के समय जब इसके फूल खिलते हैं तो ये सफेद रंग के होते हैं। दूसरे दिन वही फूल गुलाबी रंग में बदल जाते हैं और तीसरे दिन गाढ़े लाल रंग में। इसमें सफ़ेद रंग के छोटे फल भी लगते हैं जो बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं। मधुमालती के पेड़ के लगभग हर भाग का आयुर्वेदिक उपचार में प्रयोग होता है। इसके घर में होने से जीवन में खुशियां और प्रसन्नता के साथ ही उन्नति का वातावर निर्मित होता है।
9. जूही : जूही की झाड़ी अपने सुगंध वाले फूलों के करण बगीचों में लगाई जाती है। जूही के फूल छोटे तथा सफेद रंग के होते हैं और चमेली से मिलते-जुलते हैं। फूल वर्षा ऋतु में खिलते हैं। इसकी सुगंध से मन और मस्तिष्क के सारे तनाव हट जाते हैं और यह वातावरण को शुद्ध बना देता है।
10. चमेली और चम्पा की सुगंध : चमेली और चम्पा की सुगंध में फर्क है। चमेली की बेल होती है और पौधा भी जबकि चम्पा का छोटा-सा वृक्ष होता है। चमेली के फूल आंगन में सुबह-सुबह बिछ जाते हैं तो घर और परिवार भी खुशियों से भर जाता है। चमेली के पत्ते हरे और फूल सफेद रंग के होते हैं, लेकिन किसी-किसी स्थान पर पीले रंग के फूलों वाली चमेली की बेलें भी पाई जाती हैं। चमेली के तेल में ही सिंदूर को मिलाकर हनुमानजी को चढ़ाया जाता है। चमेली और चम्पा का इत्र और तेल बाजार में मिलता है।
उसी तरह चम्पा के फूल आगे से सफेद और जड़ से पीले होते हैं। खुशबू से भरे ये फूल बेहद नाजुक होते हैं। चम्पा 3 रंगों सफेद, लाल और पीले में पाया जाता है। पीले रंग की चम्पा को स्वर्ण चम्पा कहा जाता है और ये बहुत ही कम नजर आता है। इसके अलावा नाग, सुल्तान और कटहरी नामक चम्पा होती है।