Agni kon vastu dosh in hindi: पूर्व और दक्षिण के बीच की दिशा को आग्नेय कोण कहते हैं। यदि आपका मकान इस दिशा में बना है यानी उसका मुख्य द्वार और खिड़की इस दिशा में है तो वास्तु शास्त्र के अनुसार इसे अच्छा नहीं माना जाता है। आओ जानते हैं कि इससे क्या बड़े नुकसान हो सकते हैं और इस वास्तु दोष को दूर करने के क्या उपाय है।
4. कुछ वास्तु शास्त्री मानते हैं कि अक्सर ऐसे मकान रहने के 9वें वर्ष में फल देना प्रारंभ करते हैं।
5. इस मकान में रहने वाले यदि कर्ज लेते हैं तो फिर वे कभी चुका नहीं पाते हैं। यहां रहने वाले लोग कर्ज में डूब जाते हैं।
6. यदि पूर्वी आग्नेय का विस्तार पूर्वाभिमुखी हो तो पुरुष संतति की मृत्यु होकर गृहस्वामी महिला होती है।
7. आग्नेय मकान के लिए यदि पूर्व-आग्नेय का मार्ग प्रहार हो तो पुरुष चरित्र भ्रष्ट होंगे ऐसे में महिलाओं को ही घर संभालना होता है।
8. अग्नि कोण काल पुरूष की बाई भुजा, घुटने एवं बाई नेत्र को प्रभावित करते हैं। अग्नि कोण में कोई दोष होतो गृहस्वामी की बाई भुजा एवं घुटने संबंधित समस्या खड़ी हो सकती है।
9. ऐसे भूखण्ड या मकान में परिवार की प्रथम सन्तान एवं महिलाओं पर विशेषरूप से बुरा प्रभाव पड़ता है।
आग्नेय कोण वास्तु दोष के उपाय:-
यदि द्वार हटाकर कहीं ओर नहीं बनवा सकते हैं तो मकान के बाहर शेड लगाकर रखें। शेड ऐसा लगाएं कि दक्षिण का भाग पूरा ढक जाए।
दक्षिण के भाग में यदि जगह हो तो नीम का पेड़ लगा दें या गमले में नीम का पौधा लगाएं।
रोज गोमाता को गुड़ रोटी खिलाए और चावल एवं चीनी दान करें।
भवन के मुख्य द्वार के अंदर और बाहर भगवान श्रीगणेश की मूर्ति अवश्य लगवाएं।