दक्षिण-पश्चिम दिशा (नैऋत्य दिशा) :
1. इस दिशा में पृथ्वी तत्व की प्रमुखता है इसलिए इस स्थान को ऊंचा और भारी रखना चाहिए। नैऋत्य दिशा की भूमि नीची हो, तो वह घर के लोगों में भय के साथ धन-संपत्तिनाशक होती है।
2. इस दिशा में घर के मुखिया का कमरा बना सकते हैं।
3. कैश काउंटर, मशीनें आदि आप इस दिशा में रख सकते हैं।
4. इस दिशा में टॉयलेट भी बनाई जा सकती है।
5. इस दिशा में गड्ढे, बोरिंग, कुएं, पूजाघर, अध्यन कक्ष इत्यादि नहीं होने चाहिए।
7. नैऋत्य कोण में दोष या जन्मपत्री में राहु के पीड़ित होने पर परिवार में असमय मौत की आशंका, दादा से परेशानी, मन में अहंकार की भावना की उत्पत्ति, त्वचा रोग, कुष्ठ रोग, मस्तिष्क रोग आदि की सम्भावनाएं प्रबल रहती हैं। केतु भी राहु की तरह कृष्ण वर्ण का एक क्रूर ग्रह है, इसकी स्थिति के आधार पर नाना से परेशानी, किसी के द्वारा किए गए जादू-टोने से परेशानी, छूत की बीमारी, रक्त विकार, दर्द, चेचक, हैजे, चर्म रोग का विचार किया जाता है।