मेहमान के सामने इस तरह न बैठें वरना होगा नुकसान, जानिए कैसा हो बैठक रूम

बैठक रूम को स्वागत कक्ष, ड्राइंग रूम या लिविंग रूम कहते हैं जबकि जहां मेहमान को ठहराया जाता है, उसे अतिथि कक्ष या गेस्ट रूम कहते हैं। हमारे बैठक रूम से ही हमारी पहचान बनती है। बैठक रूम हमारी हैसियत, व्यक्तित्व और विचारों को दर्शाता है।
 
 
बैठक रूम परिवारों के लिए एकजुट होने का स्थान है, जहां वे दिनभर की थकान के बाद कुछ समय एकसाथ बिताना पसंद करते हैं। यहीं बैठकर वे वार्ता या गपशप करते हैं। यहीं बैठकर टीवी देखते हैं या कि भावी योजनाओं पर विचार-विमर्श करते हैं। जब कोई मेहमान आता है तो उसको इसी रूम में बैठाया जाता है। बैठक रूम वास्तु के अनुसार होने से कई तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है। बैठक रूम कैसा होना चाहिए, वहां हमारे और मेहमानों के बैठने का स्थान कहां होना चाहिए? यह सब जानिए।
 
 
बैठक रूम की दिशा:
-बैठक रूम कैसा होना चाहिए, यह आपके मकान की दिशा से तय होता है।
-मकान किसी भी दिशा में हो, बैठक रूम तो मकान के भीतर दाखिल होते ही होता है।
-यदि मकान पूर्व या उत्तरमुखी है तो बैठक रूम को पूर्वोत्तर दिशा अर्थात ईशान कोण में होना चाहिए।
-यदि मकान पश्चिममुखी है तो बैठक रूम को उत्तर-पश्चिम दिशा अर्थात वायव्य कोण में होना चाहिए।
-यदि मकान दक्षिणामुखी है तो बैठक रूम को दक्षिण-पूर्व दिशा अर्थात आग्नेय कोण में होना चाहिए।
-मेहमान के ठहराने के लिए वायव्य कोण में उसका अतिथि कक्ष बनाया जाता है।
-बैठक रूम का आकार वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए न कि अंडाकार, गोलाकार या अन्य कोई आकार।

 
बैठक रूम में किस दिशा में क्या हो:
-बैठक रूम का दरवाजा ईशान या उत्तर में है तो उत्तम, पूर्व, पश्‍चिम या वायव्य में है तो मध्यम और अन्य दिशा में है तो निम्नतम माना गया है।
-खिड़कियों को बैठक रूम के पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं बहुत लाभकारी हैं।
-टेलीविजन बैठक रूम के दक्षिण-पूर्व दिशा में रखा जाना चाहिए।
-एयरकंडीशनर और एयर कूलर बैठक रूम के पश्चिम या उत्तरी दीवार की ओर रखा जाना चाहिए।
-उत्तर या ईशान दिशा में पानी का फव्वारा, मछलीघर या फ्लॉवर पॉट रख सकते हैं। हालांकि आप सिर्फ जल के घड़े में स्थापना करके भी इस दिशा को उत्तम बना सकते हैं।
 
 
बैठक रूम का रंग-रोगन और सजावट:
-दीवारों और टाइल का रंग सफेद, हल्के पीले, हल्के नीले या हरे रंग का होना चाहिए।
-दीवारों का रंग लाल, गहरा नीला या काले रंग का नहीं होना चाहिए।
-बैठक रूम में खिड़की और दरवाजे के पर्दे मिलते-जुलते रंगों में ही प्रयोग करें।
-सोफा सेट के कुशन थोड़े अलग रंग के रखें। वैसे चंद्र, गुरु, बुध और शुक्र के रंगों का ही प्रयोग करेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा।
-बैठक रूम में प्रकाश की व्यवस्था बहुत अच्छी होनी चाहिए, क्योंकि यह सुख और भाग्य लाता है।
-पवन की झंकार (विंड चाइम्स) बैठक रूम के दरवाजे पर लगाई जा सकती है।
-पर्दे और कुशन सुंदर और अच्छी डिजाइन वाले रखें। अच्छी सी पेंटिंग, लेस व घुंघरू की सजावट या हैंड एम्ब्रॉयडरी भी कर सकती हैं।
 
 
बैठक रूम का सोफा सेट:
-यदि दरवाजा पश्चिम में है तो बैठक रूम के नैऋत्य कोण में सोफा सेट लगाएं।
-यदि दरवाजा उत्तर में है तो नैऋत्य, दक्षिण या पश्‍चिम में सोफा सेट लगाएं।
-पूर्व मुखी मकान है तो भी उपरोक्त दिशाओं में ही सोफा सेट लगवाएं।
-दरअसल, बैठक रूम में उत्तर और ईशान दिशा को छोड़कर कहीं भी सोफा सेट लगाएं।
-सोफा सेट पर मैरून व हल्के रंग की चादर, दरी या कालीन बिछाएं तो अतिथि खुश रहेगा।

 
बैठक रूम का फर्नीचर:
-फर्नीचर पश्चिम या दक्षिण दिशा में रखा जाना चाहिए। भारी फर्नीचर जैसे शोकेस या भारी अलमारी आदि को बैठक रूम के दक्षिण और पश्चिम दीवारों की ओर रखा जाना चाहिए।
-नाश्ता आदि के लिए टी-टेबल वर्गाकार अथवा आयताकार होनी चाहिए। टी-टेबल पर कॉफी कलर का कांच प्रयोग कर सकते हैं।
-फर्नीचर लकड़ी के ही होना चाहिए। लकड़ी में भी शीशम, सागवान या आम की ही होना चाहिए। बबूल की लकड़ी का उपयोग न करें। आप बांस के फर्नीचर का प्रयोग भी कर सकते हैं।

 
बैठक रूम के चित्र:
*बैठक रूम में कभी भी नकारात्मक चित्र न लगाएं, जैसे ताजमहल, महाभारत या किसी कांटेदार पौधे का चित्र।
*जंगली जानवर, रोते हुए बच्चे, नंगे बच्चे, युद्ध के दृश्य, भगवान व पेड़ आदि के चित्र भी न लगाएं।
*बैठक रूम में हंस की बड़ी-सी तस्वीर लगाएं जिससे कि अपार धन-समृद्धि की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
*इसके अलावा कहीं किसी कोने में धन के ढेर का एक छोटा-सा चित्र भी लगा सकते हैं।
*गृह कलह या वैचारिक मतभेद से बचने के लिए हंसते-मुस्कुराते संयुक्त परिवार का चित्र लगाएं।
*यदि आप दूसरों के चित्र न लगाना चाहते हैं तो खुद के ही परिवार के सदस्यों का प्रसन्नचित मुद्रा में दक्षिण-पश्चिम दिशा के कोने में एक तस्वीर लगाएं।
*समुद्र किनारे दौड़ते हुए 7 घोड़ों की तस्वीर लगाने के लिए पूर्व दिशा को शुभ माना गया है। यह तस्वीर किसी वस्तुशास्त्री से पूछकर ही लगाएं।
*घोड़ों की तस्वीर न लगाना चाहें तो आप तैरती हुए मछलियों के चित्र भी लगा सकते हैं।
*बैठक रूम में घर के मुखिया की सीट के पीछे पहाड़ या उड़ते हुए पक्षी का चित्र लगा हो। ऐसी तस्वीरों से अत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है।
* पूर्वी दीवार को उगते हुए सूरज, फलों और फूलों की कुछ चित्रों द्वारा सजाया जा सकता है। यदि देवताओं के चित्र रखा ही चाहते हैं तो पूर्वोत्तर दिशा सर्वोत्तम है।
 
 
बैठक रूम में परिवार के मुखिया की बैठक कहां हो?
-पहली बात मेहमान कक्ष में बैठने की व्यवस्था इस प्रकार से करें कि मेहमान से बात करते समय परिवार के मुखिया का चेहरा उत्तर-पूर्व या ईशान-कोण में रहे। परिवार के मुखिया को हमेशा दक्षिण-पश्चिमी कोने में बैठना चाहिए और उसका चेहरा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
-तीसरी बात मेहमान के लिए बैठने की व्यवस्था दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम कोने में होनी चाहिए और उसका चेहरा पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।
-दूसरी बात बैठक रूप में बैठते वक्त मुखिया का मुख या चेहरा द्वारा की ओर होना चाहिए यदि ऐसा नहीं है तो मेहमान आप पर हावी रहेगा और आप मेहमान के समक्ष समर्पण की मुद्रा में ही रहेंगे। इसके और भी कई नुकसान हो सकते हैं। हो सकता है कि उसमें और आप में किसी बात को लेकर विवाद हो जाए या वैचारिक मतभिन्नता प्रकट हो।
 
 
बैठक रूम की अन्य बातें:
-मौसम के हिसाब से बैठक रूम ठंडा या गर्म रहना चाहिए।
-यदि आप एक ठंडे क्षेत्रों में रहते हैं और अपने बैठक कक्ष में एक आतिशदान स्थापित करना चाहते हैं तो दक्षिण-पूर्व दिशा चुनना अच्छा है।
-कभी भी बैठक रूम में भारी लोहे का सामान नहीं रखना चाहिए अन्यथा अतिथि को लगेगा कि उसे बोझ समझा जा रहा है। इस अवस्था में मेहमान तनाव महसूस कर सकता है।
-मेहमान जब आपके स्वागत कक्ष में बैठे तो उस कक्ष को देखकर उसका मन एकदम से प्रसन्न हो जाना चाहिए। उसे खुशी और शांति महसूस होना चाहिए, इसलिए कक्ष बिलकुल साफ-सुथरा और सुगंधित बनाकर रखें।
-वास्तु कहता है कि मेहमान के स्वागत-सत्कार में किसी प्रकार की कोताही या कमी न रखें ताकि मेहमान आपके घर से विदा ले तो वह अत्यंत प्रसन्न नजर आए। मेहमान की प्रसन्नता से घर में लक्ष्मी का वास होता है अर्थात आप धन-धान्य से संपन्न होते हैं। आपको आर्थिक व मानसिक शांति मिलती है।
-वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के किसी भी रहने वाले कमरे में सिर के ऊपर से गुजरने वाले बीम स्थापित करने से बचने का प्रयास करना चाहिए। यह माना जाता है कि प्रक्षेपित बीम कमरे के पर्यावरण में तनाव और परेशानी खड़ी होती है। यदि पहले से बीम स्थापित है तो आप थर्मोकोल या लकड़ी की एक छत बनाकर उस बीम को संतुलित कर सकते हो।
 
 

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