फर्श के लिए हल्के पीले या सफेद रंग के संगमरमर का उपयोग श्रेष्ठ माना जाता है जिसमें डिजाइन हो। इसी तरह टाइल्स भी सोच-समझकर ही लगाएं। उत्तर में काले, उत्तर-पूर्व में आसमानी, पूर्व में गहरे हरे, आग्नेय में बैंगनी, दक्षिण में लाल, नैऋत्य में गुलाबी, पश्चिम में सफेद और वायव्य में ग्रे रंग के फर्श होना चाहिए।
2. हर रूम के लिए अलग-अलग रंगों का सुंदर सा करपेट लाएं और उसे बिछाएं। उस कारपेट को प्रतिदिन अच्छे से साफ रखें। उस कारपेट को प्रतिदिन अच्छे से साफ रखें। विभिन्न डिजाइन, आकृति व रंगों के कालीन न केवल घर की शोभा बढ़ाते हैं बल्कि सर्दियों के मौसम में आपके पैरों को ठंडी फर्श के संपर्क में आने से व गंदा होने से भी बचाते हैं।
3. मेन डोर का डोर मेट सामान्य होना चाहिए उस पर किसी भी प्रकार के मांगलिक चिन्ह नहीं होना चाहिए जैसे अष्टदल, दीपक या कमल का फूल नहीं होना चाहिए। डोर मेट सिम्पल और प्लेन होना चाहिए। हो सके तो नारियल की रस्सी का हो तो बेहतर है। लाल या पीले रंग का डोर मेट नहीं उपयोग नहीं करना चाहिए। डोर मेट का उपयोग आप वहां भी कर सकते हैं जहां पर टाइल्स या फर्श टूटा फूटा हो। इससे वास्तु दोष समाप्त हो जाएगा।
5. कारपेट को समय समय पर ड्राईक्लीनिंग करवाना जरूरी है क्योंकि इनके भीतर धीरे धीरे मिट्टी या धूल जमा हो जाता है जो कि वास्तु के अनुसार सही नहीं मानी जाती है। जब भी आप कालीन को वापस घड़ी करके रख रहे हो, तो उसे उलटा लपेट कर रखें जिससे की उस पर धूल के कण न चिपक सकें।