- डॉ. प्रदीप आर. गोयल
लाखों की लागत की दुकान जब ब्याज जितना भी नहीं दे पाती तो वे परेशान होने लगते हैं। प्रत्येक शहर में 60 प्रतिशत दुकानें चौराहे या तिराहों के क्षेत्र में होती हैं और अन्य गली-कूचों या लंबी सड़कों पर होती हैं। प्रत्येक दुकानदार प्रतिदिन अपनी दुकान की सफाई करता है, दुकान में अगरबत्ती लगाता है, उसे प्रणाम करके अपनी बैठक पर बैठता है, लेकिन यदि वास्तु के साथ अपनी दैनिक क्रियाओं में वे सफाई और बैठक की पद्धति में थोड़ा-बहुत परिवर्तन लाएं और उसका प्रतिदिन पालन करते रहें तो धीरे-धीरे अपनी आय में निश्चित वृद्धि पाते हैं।
* दुकान का कचरा साफ करते समय कचरा सड़क पर न डालें, न ही इसे किसी दुकान की ओर डालें। यह बरकत में कमी लाता है। उसे अपनी दुकान के निश्चित कोने दक्षिण-पश्चिम के कोने की कचरा पेटी में डालें, पश्चात उसे अधिक होने पर नगर-निगम के कूड़े के क्षेत्र में डलवाएं।
* कचरा यदि दुकान के क्षेत्र वाले चौराहे, फव्वारे आदि क्षेत्र में डाला जाएगा तो उससे उस क्षेत्र की सभी दुकानों की आय पर असर पड़ता है और आय में कमी आती है। चौराहे के मध्य या भवन के मध्य का क्षेत्र ब्रह्म क्षेत्र माना जाता है। उसे दूषित करने से आय और स्वास्थ्य दोनों का नाश होता है।
* जिस मकान या दुकान पर हम भाड़ा दे रहे हैं या हमारे नाम से है, वह क्षेत्र भी हमें लाभ देता है। अतिक्रमण कर दुकान आगे बढ़ाने से हमारी दुकान के कोने वास्तुनुसार कट या बढ़ सकते हैं। ऐसी स्थिति में आय पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। ऐसा न करें। साथ ही ऐसे में अपनी दुकान के आगे अन्य छोटी-मोटी दुकानों, ठेलों से अवरोध होकर आय कम होती है। इन नियमों का पालन करें।