वास्तु के अनुसार घर के ईशान, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य कोण में क्या होना चाहिए

अनिरुद्ध जोशी

शनिवार, 6 अप्रैल 2024 (17:00 IST)
Ishan agni nritya and vayavya kon Vastu : घर में कुल 16 दिशाएं होती हैं जिनमें से 10 प्रमुख है। ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्‍चिम और वायव्य कोण के साथ अधो और ऊर्ध्व। इसमें चारों कोण यानी ईशान, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य कोण महत्वपूर्ण होते हैं। इस कोणों में कहां क्या होना चाहिए जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार। 
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1. ईशान कोण : उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा को ईशान कोण कहते हैं। ईशान कोण जल एवं भगवान शिव का स्थान है और गुरु ग्रह इस दिशा के स्वामी है। ईशान कोण में पूजा घर, मटका, कुंवा, बोरिंग वाटरटैंक स्थान बना सकते हैं। 
 
2. आग्नेय कोण : पूर्व और दक्षिण के बीच की दिशा को आग्नेय कोण कहते हैं। आग्नेय कोण अग्नि एवं मंगल का स्थान है और शुक्र ग्रह इस दिशा के स्वामी है। आग्नेय कोण को रसोईघर या इलैक्ट्रॉनिक उपकरण आदि का स्थान बना सकते हैं। 
 
3. वायव्य कोण : पश्‍चिम और उत्तर के बीच की दिशा को वायव्य कोण कहते हैं। वायव कोण में वायु का स्थान है और इस दिशा के स्वामी ग्रह चंद्र है। वायव कोण को खिड़की, उजालदान आदि का स्थान बना सकते हैं। यहां गेस्ट रूम भी बना सकते हैं। यहां बाथरूम या टॉयलेट भी बना सकते हैं।  
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4. नैऋत्य कोण : दक्षिण और पश्‍चिम के बीच की दिशा को नैऋत्य कोण पृथ्‍वी तत्व का स्थान है और इस दिशा के स्वामी राहु और केतु है। नैऋत्य को ऊंचा और भारी रखना चाहिए। वैसे टीवी, रेडियो, सी.डी. प्लेयर अथवा खेलकूद का सामान यहां रख सकते हैं। नैऋत्य और दक्षिण में अलमारी, सोफा, मेज, भारी सामान तथा सुरक्षित रखे जाने वाले सामान रख सकते हैं।
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