ज्येष्ठ पूर्णिमा कब है? क्या है मुहूर्त? कैसे करें पूजा, क्या बोलें मंत्र
मंगलवार, 30 मई 2023 (13:09 IST)
jyeshtha purnima 2023 : ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा का खासा महत्व होता है। इस दिन वट सावित्री व्रत की पूर्णिमा भी रहती है। इस दिन गंगा में स्नान करने के बाद दान करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पापों का नाश हो जाता है। इसी के साथ ही तर्पण करने से पितरों को भी मुक्ति मिलती है। इस दिन विशेष रूप से महिलाओं को व्रत रखकर भगवान शंकर एवं भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
ज्येष्ठ पूर्णिमा कब है?
ज्येष्ठ माह के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 4 जून को यह पूर्णिमा रहेगी।
पूर्णिमा आरम्भ : 3 जून 2023 को 11:18:24 से प्रारंभ होगी।
पूर्णिमा समाप्त : 4 जून 2023 को 09:12:41 पर समाप्त होगी।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर क्या है मुहूर्त?
ब्रह्म मुहूर्त: 04:34 PM से 05:17 PM.
अभिजीत मुहूर्त : 12:10 PM से 01:03 PM.
विजय मुहूर्त : 02:49 PM से 03:4 2 PM.
गोधूलि मुहूर्त : 07:12 PM से 07:34 PM.
अमृत कालमुहूर्त : 07:12 PM से 08:41 PM.
सर्वार्थ सिद्धि योग : 03:23 AM से 05 जून को प्रत: 06:00 AM तक।
कैसे करें पूजा, क्या बोलें मंत्र
चंद्र को अर्घ्य चढ़ाएं वक्त बोलें ये मंत्र:- ऊँ सों सोमाय नम:।
श्रीराम नाम का या ऊँ नम: मंत्र का जाप 108 बार करें।
वट पूर्णिमा व्रत पूजा विधि
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। वट सावित्री व्रत की तरह ही इस दिन भी 16 श्रृंगार करें। इसके बाद वट वृक्ष की पूजा करें। बरगद के पेड़ में जल अर्पित कर पुष्प, अक्षत, फूल और मिठाई चढ़ाएं। अब वट वृक्ष में रक्षा सूत्र बांधकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करें। वट वृक्ष की परिक्रमा करें और अपने घर के बुजुर्गों से आशीर्वाद लें।
वट पूर्णिमा व्रत के दिन महा उपाय भी किए जाते हैं आइए जानते हैं ....
- इस दिन पूजा के बाद श्रृंगार का सामान किसी अन्य सुहागन महिला को देना चाहिए।
- इस दिन बरगद के पेड़ में कच्चा दूध चढ़ाने से योग्य वर और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। तथा विवाह में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं।
- वट पूर्णिमा व्रत के दिन सात्विक आहार और विशेषकर मीठी चीजों का सेवन करना चाहिए।
- इसके बाद भीगे हुए चनों का बायना निकालकर,उस पर रुपये रखकर सास के चरण स्पर्श कर देना चाहिए।
- व्रत के बाद फल आदि वस्तुएं बांस के पात्र में रखकर दान करनी चाहिए।