चेतन भगत के ख्याल पर हिन्दी प्रेमियों के विचार
लेखक चेतन भगत का मानना है कि हिन्दी को आगे बढ़ाना है तो देवनागरी के स्थान पर रोमन को अपना लिया जाना चाहिए। हमने हिन्दी प्रेमियों से बात की और जानना चाहा कि वे क्या मानते हैं क्या यह भाषा की हत्या की साजिश है?
इसके अलावा अनेकानेक बोलियों ने भी देवनागरी को अपनाया है। कश्मीरी, मैथिली, अवधी, भोजपुरी, राजस्थानी, मारवाड़ी, मेवाड़ी, छत्तीसगढ़ी, मालवी, निमाड़ी जैसी बोलियां देवनागरी के करीबी हैं और वे इसी लिपि को अपना चुकी हैं। इसलिए देवनागरी का कोई विकल्प हो ही नहीं सकता।