Citadel Review: खूबसूरत हसीना, जासूसों का संसार, जेम्स बांड नुमा कैरेक्टर, दुनिया को बचाने के जतन, हाई स्पीड एक्शन, ये सब स्पाई थ्रिलर की खूबियां होती हैं जिसके इर्दगिर्द कहानी को बुना जाता है। 'सिटाडेल' सीरिज में भी यही सब बातें शुरुआती दो एपिसोड में नजर आती हैं। इस सीरिज के प्रति भारतीयों की उत्सुकता देशी गर्ल प्रियंका चोपड़ा हैं जो विदेशी सीरिज में नजर आई हैं।
यहां पर नादिया का दिमाग और मेसन की फाइटिंग की झलक मिलती है। अब कहानी आठ साल आगे बढ़ जाती है। शक्तिशाली सिंडिकेट मोनिकोर ने सिटाडेल को खत्म कर दिया है। इन दोनों एजेंट्स की याददाश्त मिटा दी गई है और वे उलझे हुए हैं कि आखिर वे हैं कौन? इन दोनों एजेंट्स से इनका सहयोगी मुलाकात करता है क्योंकि उसे मदद की जरूरत है।
दो एपिसोड में भले ही कहानी या किरदार आपको परिचित लगते हों, लेकिन घटनाओं को इतना तेज रखा गया है कि दर्शकों को ज्यादा सोचने का वक्त नहीं मिलता। दो एपिसोड में बहुत दिखा दिया गया है जिससे आगामी एपिसोड्स के प्रति दिलचस्पी जागना स्वाभाविक है। स्क्रीनप्ले में समय-समय पर रोमांचकारी मोड़ भी दिए गए हैं जो उत्सुकता को बढ़ाते हैं। सस्पेंस पैदा किया गया है और तुरंत उस पर से परदा भी हटा दिया गया है। स्टाइलिश एक्शन और ड्रामा के बीच संतुलन अच्छा बनाया गया है।