हाल ही में भारतीय किसान यूनियन की अगुआई में देश के हजारों किसानों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन किया था। हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा उनकी मांगों को मान जाने के बाद यह आंदोलन खत्म हो गया, लेकिन इस पर सियासत शुरू हो गई है। विपक्ष मोदी सरकार को किसान विरोधी बताने में लगी है। इस बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। इस तस्वीर में हाथ में ईंट लिए एक बुजुर्ग के सामने बंदूक ताने एक जवान खड़ा है। दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर हाल ही में हुए किसान आंदोलन की है।
फेसबुक पेज ‘आई ऐम विद बरखा दत्त’ ने ‘एक बुजुर्ग अन्नदाता पर सीधे बंदूक तान देना कहां की शूरवीरता है साहेब! क्या ये किसान अपराधी हैं या आतंकवादी? डूब मरो तानाशाहों ’ कैप्शन के साथ यह तस्वीर 2 अक्तूबर को पोस्ट की थी, जिस पर अब तक ढाई हजार से अधिक लोगों ने रिएक्ट किया है और इसे साढ़े तीन हजार बार शेयर किया जा चुका है।
इस तस्वीर को कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्य कविता कृष्णन ने भी अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर करते हुए लिखा-
‘इस किसान को देखिए, जिसके हाथ में ईंट है और वो बंदूक लिए खड़े पुलिसकर्मी का सामना कर रहा है। अगर आप ऐसा सोचते हैं कि किसान आतंकी होते हैं और मुझे उम्मीद है कि आप ऐसा नहीं सोचते होंगे। यदि आपको किसान के गुस्से से सहानुभूति है तो फिर मैं उम्मीद करती हूं कि आपको पत्थर हाथ में लिए किसी कश्मीरी बच्चे को भी आतंकी कहते हुए एक बार सोचना चाहिए।’
आइए जानते हैं क्या है सच..
जब हमने इस तस्वीर को गूगल इमेज सर्च के जरिये ढूंढने की कोशिश की, तो हमें एक reddit यूजर की 2013 की एक लिंक मिली, जिसमें लिखा था ‘ताऊ को बुलेट से डर नहीं लगता’ और साथ ही लिखा था कि यह तस्वीर मेरठ की महापंचायत से है।
इसके बाद जब हमने गूगल पर Meerut Mahapanchayat 2013 कीवर्ड के साथ सर्च किया, तो हमें इंडियन एक्सप्रेस की एक लिंक मिली, जिसमें मेरठ की महापंचायत पर खबर थी और यह वायरल तस्वीर भी थी।
दरअसल, 2013 में बीजेपी विधायक संगीत सोम की गिरफ्तारी के विरोध में मेरठ के सरधना में प्रशासन की रोक के बाद भी महापंचायत बुलाई गई। इसी दौरान ग्रामीणों ने जमकर पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी की। पुलिस ने भी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। यह तस्वीर उसी वक्त की है।
हमारी पड़ताल में वायरल तस्वीर पर किया जा दावा झूठा साबित हुआ है।