व्हाट्‍स एप कॉर्नर : आतंकवादी लड़कियां

आतंकवादी लड़कियां...

वो लड़कियां भी किसी आतंकवादी से कम नहीं हुआ करती थीं।
जो टीचर के क्लास में आते ही याद
दिला देती थीं।
सर आपने टेस्ट का बोला था
आजकल के बच्चे क्या समझेंगे






मास्टरजी...

हमने किन मुश्किल परिस्थितियों में पढ़ाई की है,
कभी-कभी तो मास्टरजी हमें
मूड फ्रेश करने के लिए ही कूट दिया करते थे


मन की बात...

आजकल के बच्चे रिफ्रेश होने के लिए जहां वॉटर पार्क, गेम सेंटर जाने की जिद करते हैं
वहीं हम ऐसे बच्चे थे जो मम्मी-पापा के एक झापड़ से ही फ्रेश हो जाते थे
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वो बचपन के दिन...

वो भी क्या दिन थे?
जब बचपन में कोई रिश्तेदार जाते समय 10 रुपए दे जाता था,
और मां 8 रुपए टीडीएस काटकर 2 रुपए थमा देती थी






जब टीवी बिगड़ जाए...

घर का टीवी बिगड़ जाए
तो माता-पिता कहते हैं -
बच्चों ने बिगाड़ा है,
और अगर बच्चे बिगड़ जाएं तो
कहते है,
टीवी ने बिगाड़ा है

आजकल के मां-बाप...
आजकल के मां-बाप सुबह स्कूल बस में बच्चे को बिठा के ऐसे बाय-बाय करते हैं जैसे पढ़ने नहीं विदेश यात्रा भेज रहे हों,
और
एक हम थे जो रोज लात खा के स्कूल जाते थे

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शक्तिमान...

4-4साल के बच्चे गाते फिर रहे हैं
'छोटी ड्रेस में बॉम्ब लगदी मैनू'
जब हम चार साल के थे तो एक ही वर्ड याद था
वही गाते फिरते थे,
'शक्ति शक्ति शक्तिमान'

हनी सिंह और जॉन सीना...

भला हो हनी सिंह और जॉन सीना का...
जिसने आज के बच्चो को फैशन के नाम पे बाल बारीक़ छोटे रखना सीखा दिया
हमारी तो सबसे ज्यादा कुटाई ही बालों को लेके हुई थी।
हम दिलजले के अजय देवगन बन के घूमते थे,
और जिस दिन पापा के हाथ लग जाते उस दिन नाई की दुकान से ओमकारा का लंगड़ा त्यागी बनाकर
ही घर लाते थे।

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