नाम : संगीता कालिया, परिचय : हरियाणा के फतेहाबाद में एसपी, चर्चा में किसलिए : स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के सामने आत्मविश्वास के साथ अपनी बात रखी तो विज ने बदतमीजी के साथ गेट आउट कहा। संगीता डटी रही, मंत्री को जाना पड़ा। देश भर में इस मामले की चर्चा।
जिसने भी सोशल मीडिया और अखबारों में संगीता और विज के बीच के संवाद सुने व देखे हैं वे कह सकते हैं कि संगीता ने पूरे समय अपनी गरिमा में रहकर बात कहने का प्रयास किया जबकि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज अजीब सी अकड़ के साथ संगीता की बात को खारिज करने में लगे रहे। अंतत: जैसे ही विज ने गेट आउट कहकर अपनी कुंठा उतारी तो संगीता ने जाने से इंकार कर दिया।
इस तरह सुर्खियों में आई संगीता 2010 बैच की महिला आईपीएस हैं। भिवानी जिले में उनकी सारी शिक्षा-दीक्षा हुई। उनके बारे में यह तथ्य भी अचरज भरा है कि उनके पिता धर्मपाल हरियाणा पुलिस में सामान्य पेंटर के रूप में कार्यरत रहे। संगीता मानती हैं कि उनके पिता के त्याग और अथक परिश्रम की वजह से आज वह इस मुकाम पर हैं। संगीता ने यहां तक आने में संघर्ष और साहस की जो इबारतें रची हैं वह उन्हें जानने वाले बड़े सम्मान के साथ बताते हैं।
फतेहाबाद में फरवरी, 2015 को बतौर एसपी अपना कार्य भार संभालते हुए संगीता ने महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने का वादा किया। और तुरंत ही अपने वादे के लिए गंभीर प्रयास भी आरंभ कर दिए। महिला सशक्तिकरण की दिशा में संगीता ने महिलाओं के लिए आत्मरक्षा गुर सिखाने के ट्रेनिंग कैंप आयोजित किए।
संगीता ने अपने व्यक्तित्व और आत्मविश्वास से पुलिस विभाग में अपेक्षित कर्मठता को अक्षरश: सिद्ध किया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि नेताओं की बेशर्मी कहां जाकर थमेगी? संगीता ने पूरी बातचीत के दौरान अपने धैर्य और साहस का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया है।
संगीता का यह वीडियो उन तमाम बदजुबान मंत्रियों और नेताओं के गाल पर तमाचा है जो मात्र राजनीति में होने भर से खुद को शहंशाह मान लेते हैं और जिन्हें लगता है कि उनके पास हर किसी से बदतमीजी करने का लाइसेंस है। संगीता की हिम्मत इसलिए भी प्रशंसनीय है कि वह जिस पद पर बैठी है उस जगह पर लड़के हो या लड़कियां एक अनचाहे राजनीतिक दबाव का सामना करना ही होता है ऐसे में संगीता ने करारा जवाब देकर दूसरे होनहार और ईमानदार अधिकारियों का रास्ता ही खोला है।
जब तक देश की राजनीति से विज जैसे असभ्य नेताओं को गेटआउट नहीं कहा जाता तब तक ईमानदार अधिकारियों के सामने ऐसी स्थिति बनती रहेगी। इन हालातों में संगीता जैसी तटस्थ और अडिग बनी रहना ही असली चुनौती है। संगीता ने जिस धीरज और सहजता से सारी बातों का सामना किया उस धीरज को सलाम...शाबाश संगीता, लगी रहो हम तुम्हारे साथ हैं। तुम आगे भी अडिग रहना...
मामला : हरियाणा के स्वास्थ्य एवं खेल मंत्री अनिल विज फतेहाबाद में जन शिकायत निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। फतेहाबाद की पुलिस अधीक्षक आईपीएस संगीता कालिया संगीता से विज ने पूछा कि पंजाब की सीमा से लगे इलाकों में शराब की तस्करी रोकने के लिए पुलिस क्या कर रही है। संगीता के जवाब से वह संतुष्ट नहीं दिखे। असल में संगीता ने मंत्री को आईना दिखाया कि, शराब की दुकानों के लाईसेंस तो सरकार ही देती है अलबत्ता हम उसे रोकने की कोशिश कर रहे हैं। हमने ढाई हजार मामले दर्ज किए हैं। इनमें से कई लोग जमानत पर बाहर आ गए और फिर से तस्करी में लग गए हैं। बस यहीं पर मंत्री जी झल्ला पड़े और उन्होंने संगीता को बाहर जाने के लिए कह दिया। संगीता ने जवाब दिया मैं क्यों जाऊं, आखिर मंत्री उठकर चल दिए।