upsc : श्रुति, अंकिता और गामिनी की त्रिवेणी ने रचा इतिहास, टॉप 3 पर महिला उम्मीदवार

प्रथमेश व्यास 
बहुत कुछ अच्छा घटित हो रहा है हमारे आसपास, हमारे साथ-साथ.... जरूरत है आंखों को खोलकर देखने की....राष्ट्रीय स्तर पर यह चमकदार उपलब्धि दर्ज हुई है हमारी बेटियों के नाम... श्रुति शर्मा, अंकिता अग्रवाल, गामिनी सिंगला आज ये 3 नाम किसी परिचय के मोहताज नहीं... जी हां, भारतीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सोमवार को सिविल सेवा परीक्षा 2021 के नतीजों की घोषणा के साथ ही हम कह सकते हैं कि निरंतर आगे बढ़ रही हैं भारत की बेटियां.... उनके पंखों को खुलने और फैलने का अवसर ही तो देना है फिर देखिए कैसे करिश्मा रचती हैं हमारी बौद्धिक परंपरा की वाहक ये सलोनियां, ये सरस्वतियां.... गार्गी, मैत्रेयी, भारती, सीता, द्रोपदी की तरह ही इनके गरिमामयी व्यक्तित्व को देखिए... चेहरे की स्मित मुस्कान, आंखों की चमक, वाणी की प्रखरता कित ना कुछ समेटे है...

गहरी दृष्टि चाहिए इन्हें देखने के लिए ये आंखें कितनी रातें नहीं सोई हैं, कितने छोटे-बड़े अरमानों को इस विराट सपने के लिए पीछे छोड़ा गया है....‍कितनी खुशियां इसलिए नही मनाई गई कि आज ये दिन देख सके.... और आखिर वह दिन आया अपने साथ आश्चर्यमिश्रित खुशी लेकर.... इन नतीजों ने हमारी बेटियों पर विश्वास स्थापित करने का कारण दिया.... इन नतीजों ने ना जाने कितने माता-पिता को फिर से सोचने पर मजबूर किया कि बेटियां बस सजी धजी गुड़िया नहीं हैं, बेटियां सिर्फ गृहकार्य में दक्ष होने के लिए नहीं बनी हैं, बेटियां सिर्फ गोरी त्वचा न होने पर मायूस होने के लिए नहीं हैं.... बेटियां अपनी बौद्धिक क्षमता से नए प्रतिमान गढ़ने के लिए हैं, बेटियां अपनी कर्मठता से नए सोपान रचने के लिए हैं...    
 
भारतीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सोमवार को सिविल सेवा परीक्षा 2021 के नतीजों की घोषणा जैसे ही की इन नतीजों ने समूचे देश में प्रसन्नता का माहौल बना दिया.... सिविल सेवा परीक्षा में टॉप करने वालों की लिस्ट में पहले 3 नाम भारत की होनहार बेटियों के हैं। इस साल श्रुति शर्मा को पहला स्थान, अंकिता अग्रवाल को दूसरा स्थान तथा गामिनी सिंगला को तीसरा स्थान मिला है। 
 
यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। साल 2021 में आयोजित हुई परीक्षा में करीब 9 लाख 70 हजार विद्यार्थियों ने भाग लिया था। इतनी कड़ी प्रतिस्पर्धा में शीर्ष स्थान पाकर इन तीनों ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत की बेटियां किसी से कम नहीं है। अपनी बौद्धिक विरासत को आगे ले जाने में, अपनी प्रशासनिक दक्षता को सिद्ध करने में ये पूरी तरह से सक्षम हैं....
 
भारत ये वही है जहां निर्भया के मामले ने पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया था लेकिन इस खबर ने यह साबित किया कि हमारी बेटियां हार नहीं मानती, हमारी बेटियां निराश नहीं होतीं, हमारी बेटियां सिर्फ एक स्वस्थ सुरक्षित वातावरण चाहती हैं फिर उनकी योग्यता को किसी भी तरह की कोई बाधा रोक नहीं सकती, वे शिखर पर जा सकती हैं, परचम लहरा सकती हैं....  
 
यूपीएससी मेहनत, साहस और दृढ़-निश्चय की अग्निपरीक्षा को कहा जाता है। यूपीएससी की परीक्षा में टॉप करना कोई आम बात नहीं है। लाखों लोग 4-4 साल तक परीक्षा देने बाद उसे क्लियर तक नहीं कर पाते हैं। घर से दूर रहकर 10-10 घंटे पढ़ना, देश-दुनिया में होने वाले हर बड़े मुद्दे पर नजर रखना, खगोल-भूगोल, अर्थशास्त्र, विज्ञान, इतिहास जैसे ढेरों विषयों की जानकारी रखना कोई छोटी बात नहीं है। 
 
कॉन्फिडेंस, कैरेक्टर और कमिटमेंट के 3 C हमारी बेटियों में रोपे जाएं तो वे श्रुति, अंकिता और गामिनी के रूप में दमकती हैं। 
 
पंडित जवाहर लाल नेहरु ने कहा था कि लोगों को जगाने के लिए, महिलाओं का जागृत होना जरुरी है। एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है तो परिवार आगे बढ़ता है, गांव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता जाता है। कहा जा सकता है कि भारतीय महिलाओं ने अब वो कदम उठा लिया है। आज की नारी हर क्षेत्र में अपना योगदान देती नजर आ रही है। पहले भारतीय मानसिकता ये कहती थी कि ऐसे कई कार्य है जिन्हे महिलाएं कभी नहीं कर सकती। लेकिन, आज महिलाएं ट्रक चलाने, ठेला लगाने से लेकर हवाईजहाज उड़ाने तक सारे काम कर रही हैं। बा त सिर्फ उन पर भरोसा रख कर उन्हें उड़ने के लिए खुला गगन देने की है। 
 
हम एक ऐसे देश में रहते है जहां आज भी कई महिलाओं को शहर से तो क्या, घर से दूर बाजार में भी नहीं जाने दिया जाता। महिलाओं को कमजोर समझा जाता है। कोई लड़का अगर रोता है तो उसपर ये कहकर तंज कसा जाता है कि तुम क्यों महिलाओं की तरह रो रहे हो ! ऐसी मानसिकता में बीच भारतीय महिलाएं जब संसाधनों के आभाव में देश का मस्तक ऊंचा करती है, तब प्रतीत होता है कि महिला सशक्तिकरण अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर रहा है। 
 
प्राइमरी स्कूल की सामान्य ज्ञान (जी.के) की किताबों में एक पन्ना हुआ करता था, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में देश का मान बढ़ाने वाली कुछ महिलाओं के चित्र अंकित होते थे। आज भारतीय महिलाएं इतने कीर्तिमान स्थापित कर रही है कि पन्ना तो क्या पूरी किताब में भी अगर महिलाओं के चित्र लगा दिए जाएं तो कम होगा। 
 
मैनेजमेंट, कला, शिक्षा, रक्षा, समाज सेवा, स्वास्थ, राजनीति आदि हर क्षेत्र की सूचियों में महिलाओं के नाम अंकित है। पीवी सिंधु, मैरी कॉम, साइना नेहवाल, गजल अलघ, विनीता सिंह, फाल्गुनी नायर, निर्मला सीतारमण, अरुणिमा सिन्हा, अवनि चतुर्वेदी जैसी भारत की कई होनहार बेटियों की सूची में आज श्रुति शर्मा, अंकिता अग्रवाल और गामिनी सिंगला का नाम भी शामिल हो गया। आज भारत की हर बेटी मुस्कुरा रही है इस ज्ञान की गंगा, लक्ष्य की यमुना और साहस की सरस्वती से बनी सुंदर त्रिवेणी के साथ....

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