मन का मैल धोना जरूरी

- संघमित्रा बैनर्ज

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श्रेया का मूड आज सुबह से ही खराब है। लंच टाइम में आखिर वंदिता ने पूछ ही लिया- "क्या बात है मैडम? आज चेहरे पर सुबह से ही गुस्सा लिए घूम रही हो।" "कुछ मत ही पूछ तो अच्छा है। आज ऑफिस में आते से ही "सड़ल्लो" के दर्शन हो गए।" "ओह" बात को समझते हुए वंदिता चुप हो गई।

ये सड़ल्लो जिनके जिक्र से ही श्रेया का मूड खराब हो जाता है और कोई नहीं उनके ही ऑफिस की एक पूर्व सहयोगी "त्रिशला" है, जिसने अब कहीं और ज्वॉइन कर लिया है, लेकिन कभी-कभार वो पुराने ऑफिस में भी मिलने-जुलने आती रहती है। पुराने ऑफिस के मुट्ठीभर लोगों को छोड़कर उसे कोई भी पसंद नहीं करता, क्योंकि उसने न केवल अपने सहयोगियों से बल्कि बॉसेस तक से कई बातें छुपाईं और जमकर पॉलिटिक्स की।

इसे संयोग कहें या बदकिस्मती कि श्रेया और त्रिशला का विभाग एक ही था और इससे भी बढ़कर दिक्कत यह थी कि त्रिशला ने श्रेया से कुछ महीने पहले यहाँ ज्वॉइन किया था। सो, त्रिशला ने जमकर श्रेया को अपने अंदाज में काम "सिखाया" भी और उसे परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। त्रिशला ने पहले मित्र बनकर उसे कुछ लोगों के खिलाफ भड़काया और फिर उसे फँसाकर दूर हो गई।

  जिस कड़वाहट को आप अपने भीतर जगह दे रहे हैं, असल में वो आपकी कमजोरी बनकर रह जाएगा। आप इसे जितनी तवज्जो देंगे, यह उतना ही आपको भीतर से खोखला बनाता जाएगा। इससे आपकी कामकाज की गति और निर्णय लेने की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ेगा।      
हालात इतने बिगड़ गए थे कि कुछ ही महीनों में श्रेया ने ३-४ बार नौकरी छोड़ने का मन बना लिया। लेकिन इसी बीच रहस्यमय ढंग से त्रिशला ने वो ऑफिस छोड़ दिया और श्रेया ने राहत की साँस ली। बाद में उसने सभी गलतफहमियाँ दूर करके पुराने कटु संबंधों को भी सहेजा। आज भी वो अपने मन से त्रिशला के प्रति कड़वाहट को निकाल नहीं पाती।

श्रेया की ये कहानी कोई अजूबा नहीं, हममें से कई जिंदगी में ऐसी परिस्थितियों से दो-चार होते हैं जब किसी की हरकतें हमारे दिल और दिमाग को परेशान कर देती हैं और चाहकर भी हम उन्हें बाहर निकालकर नहीं फेंक पाते। मन में पनपता यह वैमनस्य या मन का मैल कब हमारे अस्तित्व पर कब्जा जमाने लगता है, हम समझ ही नहीं पाते और फिर जब भी उस व्यक्ति से सामना होता है हम अपना सुख-चैन गँवा बैठते हैं। ऐसी परिस्थिति में सबसे अच्छा तरीका है मन में चुभी फाँस को तुरंत निकाल फेंकना। आइए जानते हैं कैसे।

क्षमा का अस्त्र :-
ये सबसे पहला कदम है। जिसने भी आपको परेशान किया या नुकसान पहुँचाया है, वो समय आने पर अपनी गलती जरूर समझेगा और अगर नहीं भी समझ पाया तो भी उसे एक अच्छे व्यक्ति को दुःख पहुँचाने का मलाल कभी न कभी तो जरूर होगा। उसकी चिंता आपको करने की आवश्यकता नहीं। ऐसे किसी भी व्यक्ति या घटना को बुरा सपना समझकर दिल से निकाल फेंकिए और मन से उस व्यक्ति को क्षमा कर दीजिए। इससे न केवल आपका मन शांत हो जाएगा बल्कि आपको सुकून भी मिलेगा।

दूर हटाइए ये कमजोरी :-
जिस कड़वाहट को आप अपने भीतर जगह दे रहे हैं, असल में वो आपकी कमजोरी बनकर रह जाएगा। आप इसे जितनी तवज्जो देंगे, यह उतना ही आपको भीतर से खोखला बनाता जाएगा। इससे न केवल आपकी कामकाज की गति और निर्णय लेने की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ेगा बल्कि आपमें नकारात्मक विचार ज्यादा घर करने लगेंगे। ऐसे में आप खुद को हर मोर्चे पर कमजोर महसूस करने लगेंगे और जिस व्यक्ति ने आपका अहित किया है उसे आपको पीड़ा देने के और भी मौके मिल जाएँगे। इसलिए ऐसे किसी भी विचार को अपनी कमजोरी न बनने दें।

बेगानों के लिए अपनों से दूरी अच्छी नहीं :-
जिस किसी ने भी आपको चोट पहुँचाई है उसके प्रति कटुता तो आपने पाल ली, साथ ही आपके मन पर उस कटुता का इतना असर है कि वह व्यक्ति सामने न होकर भी आपके दिल-दिमाग पर हावी रहता है। आप जब अपने शुभचिंतकों-दोस्तों से घिरे रहते हैं तब भी। ऐसे में आप धीरे-धीरे अपनों से भी दूर होते चले जाएँगे जबकि अपनों का साथ आपको इस वैमनस्य से दूर होने में सहायक सिद्ध हो सकता है।

खुद को बनाएँ व्यस्त :-
यदि आप किसी व्यक्ति के खराब व्यवहार या किसी बुरी घटना को दिल से निकालना चाहते हैं तो खुद को किसी भी अच्छे या मनपसंद काम में व्यस्त कर लीजिए। चाहें तो सालसा क्लास ज्वॉइन कर लें या फिर किसी अच्छी किताब में डूब जाएँ या फिर कोई कुकिंग क्लास को अपना लें। ये सभी चीजें आपमें पॉजीटिव एनर्जी को बढ़ाएँगी और आपको फिजूल बातें सोचने से बचाएँगी। आप खुद को जितना व्यस्त रखेंगी उतना ही बेफिजूल विचारों से दूर रहेंगी।

दूसरों की मजबूरी भी समझें :-
यदि कोई परिचित आपको किसी आयोजन का निमंत्रण देना, अपनी किसी खुशी में शामिल करना या फिर आपकी किसी बात का उत्तर देना भूल जाए तो उसका बुरा मानकर, इस बात को हमेशा के लिए दिल से मत लगा बैठिए। हो सकता है उस व्यक्ति ने अज्ञानवश या किसी मजबूरी के चलते ऐसा किया हो। ऐसे में सहजता से उस बात को समय आने पर स्पष्ट कर लीजिए। याद रखिए अच्छे व स्वस्थ रिश्ते बड़ी मुश्किल से बनते हैं और उतनी ही आसानी से टूट भी जाते हैं। इसलिए छोटी-छोटी बातों को दिल में न पालिए।

थोड़ी-सी दूरी बहुत जरूरी :-
किसी भी व्यक्ति का आचरण और व्यवहार उसका मन खोलकर सामने रख देता है। अतः जैसे ही आपको लगता है कि कोई व्यक्ति आपका फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है या फिर कोई आपको दुःख पहुँचा सकता है, तुरंत उससे दूरी बना लें। वैसे सही तरीका यह है कि न तो किसी के एकदम निकट बन जाएँ, न ही किसी से एकदम मुँह मोड़ लें। संतुलित व्यवहार आपको हमेशा फायदा पहुँचाता है। और हाँ, कभी भी भलमनसाहत में किसी की गलत बात को स्वीकार न करें।

और अंत में सबसे जरूरी बात, हमेशा यह बात ध्यान में रखें कि ईश्वर ने आपको जिंदगी हँसी-खुशी अपनों के बीच बिताने के लिए और कुछ अच्छा काम करने के लिए दी है, ऐसे में बेवजह पाला गया वैमनस्य आपको दुःख और तकलीफ तो देगा ही, आपसे जुड़ा हर व्यक्ति भी दुःखी रहेगा। इसलिए मन में कटुता मत पालिए, चीजों का सही समाधान ढूँढने की कोशिश कीजिए और खुशी के हर लम्हे को भरपूर जी लीजिए।