year ender 2024 : घरेलू निवेशकों ने दिखाई ताकत, शेयर बाजार में हुई चांदी

नृपेंद्र गुप्ता

गुरुवार, 19 दिसंबर 2024 (07:27 IST)
share market in 2024 : भारतीय शेयर बाजार के लिए 2024 बेहतरीन वर्ष रहा। इस वर्ष सेंसेक्स और निफ्टी ने कई नए कीर्तिमान गढ़ते हुए नई ऊंचाइंयों को छुआ। सितंबर में सेंसेक्स ने 85836 अंकों के साथ ऑल टाइम हाई बनाया वहीं निफ्टी भी 26277 पर जा पहुंचा। सेंसेक्स ने निवेशकों को 1 लाख के सपने दिखाए तो निफ्टी की तेज चाल ने भी निवेशकों की जेब भर दी। एफडीआई और एफआईआई की बेरूखी के बीच भारतीय निवेशकों ने दुनिया को बता दिया कि भारतीय शेयरों बाजारों की मजबूती का राज क्या है।

बड़े आईपीओ की लांचिंग ने निवेशकों का ध्यान बाजार से हटने नहीं दिया। कंपनियों ने बाजार से अच्छा पैसा जुटाया तो आम निवेशकों के साथ ही म्यूचुअल फंड्स ने भी बाजार में जमकर कमाई की। ऐसा नहीं है कि इस वर्ष बाजार में सब कुछ हरा ही हरा था। बाजार ने निवेशकों कुछ ऐसे सबक भी सिखाए जो बरसों बरस सभी को याद रहेंगे। इस साल का सबसे बड़ा सबक यह रहा कि सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी। 
 
2024 में इन बातों का शेयर बाजार पर पड़ा असर : लोकसभा चुनाव के नतीजे, अडाणी मामले के साथ ही अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव, यूक्रेन-रूस युद्ध और  इजरायल-ईरान के बीच चल रहे विवाद के कारण निवेशकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। डॉलर, रुपए, सोना, चांदी और क्रूड की चाल का बाजार पर असर पड़ा तो एफडीआई, एफआईआई और डीआईआई ने अपने अपने हितों की वजह से बाजार की चाल प्र‍भावित किया। म्यूचुअल फंडों के माध्यम से भी बाजार  में भारी निवेश हुआ।   
 
सेंसेक्स की तेज चाल : 2024 में सेंसेक्स की तेज चाल ने सभी को हैरान कर दिया। पूरे वर्ष में एक बार भी सेंसेक्स 70,000 से नीचे नहीं आया। 1 जनवरी को जो सेंसेक्स 72,272 पर था, 23 जनवरी को इसने 70,371 अंक पर अपना वर्ष का सबसे निचला स्तर छुआ। इसके बाद बाजार ने तेज रफ्तार पकड़ ली। 26  सितंबर को सेंसेक्स 85836 पर जा पहुंचा। इसके बाद बाजार में एक डीप करेक्शन आया। 21 नवंबर को यह गिरकर 77140 पर जा पहुंचा। हालांकि यहां से  बाजार ने फिर चाल बदली और 30 शेयरों वाला इंडेक्स फिर 80,000 के पार पहुंच गया।
 
निफ्टी की चाल ने भी किया हैरान : सेंसेक्स की तरह निफ्टी ने भी अपनी तेज चाल से सभी का दिल जीत लिया। 1 अगस्त 2024 को यह किलकारी भरते हुए  पहली बार 25,000 के पार पहुंच गया। इसके बाद भी इसकी तेजी जारी रही और सितंबर में यह पहली बार 26,250 के पार पहुंच गया। 2024 के पहले दिन  निफ्टी 21742 था, 23 जनवरी को यह वर्ष के सबसे निचले स्तर 21239 था। इसके बाद इसने नित नए रिकॉर्ड बनाए। 26 सितंबर को यह अपने शीर्ष स्तर पर  था। हालांकि इसके बाद बिकवाली की वजह से 21 नवंबर को यह 23350 तक पहुंच गया। यहां से बाजार ने फिर रफ्तार पकड़ी। निफ्टी 500 ने इस वर्ष निवेशकों को 22.5 फीसदी का रिर्टन दिया।
 
आईपीओ बाजार में बहार : 2024 में आईपीओ के जरिए कंपनियों ने जमकर निवेश जुटाया। जाते वर्ष में 92 कंपनियों के 1.6 लाख करोड़ रुपए से अधिक के  आईपीओ आए। वर्ष के आखिरी माह में ही 15 कंपनियों ने 24950 करोड़ के आईपीओ आईपीओ का ऐलान किया। इससे पहले अक्टूबर में 6 कंपनियों के 38689  और नवंबर में 8 कंपनियों के 31145 के आईपीओ आए थे। अक्टूबर में ही हुंडई के रुप में भारतीय आईपीओ इंडस्ट्री का सबसे बड़ा आईपीओ लांच हुआ।

NTPC, बजाज हाउसिंग फाइनेंस, स्वीगी, जोमेटो, विशाल मेगा मार्ट, वन मोबिविक जैसी कंपनियों के आईपीओ ने निवेशकों को खासा प्रभावित किया। दोपहिया वाहन डीलरशिप, रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल के आईपीओ ने निवेशकों को हैरान कर दिया। केवल 12 करोड़ रुपए के इस SME आईपीओ को लगभग 4,800 करोड़ रुपए की बोलियां प्राप्त हुईं। आईपीओ को देख लोगों को 1994 में जसपाल भट्टी का गोलगप्पों का आईपीओ याद आ गया। कई अन्य छोटे आईपीओ भी निवेशकों  के दिलों पर राज करने में सफल रहें।
 
इन सेक्टर्स में जबरदस्त रिटर्न : वैसे तो 2024 में सभी सेक्टर्स के शेयरों ने जबरदस्त रिटर्न दिया। लेकिन ऑटो, एनर्जी, आईटी और बैंकिंग कंपनियों के शेयरों  में निवेशकों ने काफी लाभ कमाया। कई म्यूचुअल फंड कंपनियों ने इक्विटी में निवेश करने वाले निवेशकों को 30 से 40 फीसदी तक का रिटर्न दिया। इससे भी  आम लोगों की शेयर बाजार में दिलचस्पी बढ़ गई।
 
शेयर बाजार में कैसे बढ़ा निवेश : 2024 में देश में सर्वाधिक डीमैट अकाउंट खोले गए। सितंबर 2024 तक देश में डीमैट अकाउंट्स की संख्‍या 175 मिलियन के पार पहुंच गई। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर तक देश में कुल 10.55 करोड़ व्यक्तिगत निवेशक थे। इसमें महिलाओं की हिस्सेदारी 2.52 करोड़ यानी 23.9% थी। पिछले वर्ष शेयर बाजार में इनकी हिस्सेदारी 23% थी।
 
शेयर बाजार विशेषज्ञ सागर अग्रवाल ने कहा कि सेबी की सक्रियता, बेहतरीन रिटर्न और डिजिटलाइजेशन की वजह से शेयर बाजार में निवेश को काफी बढ़ा दिया। पहले जो लोग शेयर बाजार के नाम से ही डरते थे, अब म्यूचुअल फंड्स, ईटीएफ आदि विकल्पों के माध्यम से यहां निवेश करने लगे हैं। सेबी भी कड़ी मशक्कत के बाद ट्रांजेक्शन में लगने वाले समय को करने में सफल रहा है।
 
अडाणी ने फिर बिगाड़ी बाजार की चाल : मजबूत लिक्विडिटी के सहारे जब भारतीय शेयर बाजार कुलाचे भर रहा था तभी अडाणी ग्रुप पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय  की टेढ़ी नजर ने भारतीय शेयर बाजार की तेज गति पर लगाम लगा दी। इसी समय एफडीआई और एफआईआई की बेरूखी ने भारतीय शेयर बाजारों को बड़ा  झटका दिया। हालांकि अगर डीआईआई सेंसेक्स और निफ्टी को नहीं संभालते तो गिरावट हो सकती है।
 
माधवी बुच पर उठे सवाल : विपक्ष ने अडाणी मामले में सेबी प्रमुख माधवी बुच को भी सवालों के घेरे में खड़ा किया। उन पर खुदरा निवेशकों के हितों को  कुचलने का भी आरोप लगाया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सेबी की पूर्णकालिक सदस्य रहते हुए भी माधवी बुच आईसीसीआई बैंक (ICICI Bank) से  16 करोड़ 80 लाख रुपए की नियमित आय ले रही थीं। कारोबारी सुभाष चंद्रा ने भी ZEE Sony डील टूटने के मामले में माधवी बुच पर गंभीर आरोप  लगाए। इन आरोपों के बाद भी सरकार मजबूती से उनके साथ खड़ी रही। 
 
सेबी ने इस वर्ष कई कड़े कदम उठाए। सेबी ने निवेशकों के हित में छोटी, मझोली कंपनियों के लिए आईपीओ नियमों को सख्त किया। बाजार नियामक ने उद्योगपति अनिल अंबानी तथा रिलायंस होम फाइनेंस के पूर्व प्रमुख अधिकारियों समेत 24 अन्य को कंपनी  से धन के हेर-फेर के मामले में प्रतिभूति बाजार से 5 साल के लिए प्रतिबंधित किया। पूंजी बाजार नियामक सेबी निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए वायदा  एवं विकल्प (F&O) खंड के संबंध में जल्द ही कदम उठा सकता है। सेबी ने सरकार से नगर निगम बॉण्ड के ग्राहकों के लिए कर में छूट देने का आग्रह भी  किया है, जो बुनियादी ढांचे के विकास के वित्तपोषण के लिए महत्वपूर्ण है। 
 
कमजोर रही 2024 की विदाई : भारतीय शेयर बाजारों ने 2024 के पहले 2 र्क्वाटर में शानदार प्रदर्शन किया। हालांकि आखिरी के 2 र्क्वाटर भारतीय इक्विटी  मार्केट के लिए उतने खास नहीं रहे। वर्ष के अंत में शेयर बाजार में बहुत अनिश्चितता देखने को मिल रही है। विदेशी निवेशकों द्वारा जारी आउटफ्लो के कारण  बाजार निचले स्तर को छू गया।
 
2025 में कैसी रहेगी बाजार की चाल : 2025 की शुरुआत से पहले ही भारतीय शेयर बाजार के सामने कई चुनौतियां दिखाई दे रही है। आने वाले वर्ष में बाजार  की चाल ग्लोबल इकोनॉमी और ट्रंप फैक्टर पर निर्भर करेगी। माना जा रहा है कि ट्रंप कई कठोर फैसले लेंगे। इनमें एक फैसला डॉलर में व्यापार नहीं करने वाले देशों पर टैरिफ बढ़ाना है। सागर अग्रवाल ने कहा कि अगर अमेरिका इस तरह का कोई कदम उठाता है तो इसका सीधा असर शेयर बाजार पर सीधा पड़ेगा।
 
उन्होंने कहा कि 2024 में बाजार ने निवेशकों को उम्मीद से ज्यादा रिर्टन दिया है। अब 2025 में भी निवेशक इसी तरह के रिटर्न की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने  कहा कि आपदा विपदा की स्थिति में बाजार पर नकारात्मक असर दिखता है। फिलहाल ऐसा कुछ दिखाई नहीं देता। ट्रंप के आने के बाद पश्चिम एशिया में शांति के साथ ही रूस यूक्रेन युद्ध के भी थमने के आसार है। उनका मानना है कि आने वाले वर्ष में हम सेंसेक्स को 1 लाख के स्तर पर देख सकते हैं। 

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