21 जून 2021 को विश्व योग दिवस मनाया जाएगा। योगासन में आसन क्या है, आसन किसे कहते हैं, योगासनों का मुख्य उद्येश्य क्या है, आसन और व्यायाम में फर्क क्या है और यह कितने प्रकार के होते हैं, जानिए योगा डे पर इन सभी को संक्षिप्त रूप में।
1. आसन की परिभाषा : चित्त को स्थिर रखने वाले तथा सुख देने वाले बैठने के प्रकार को आसन कहते हैं। आसन शब्द संस्कृत भाषा के 'अस' धातु से बना है जिसके दो अर्थ हैं- पहला है बैठने का स्थान तथा दूसरा शारीरिक अवस्था।
2. योगासनों का मुख्य उद्येश्य : आसनों का मुख्य उद्देश्य शरीर के मल का नाश करना है। शरीर से मल या दूषित विकारों के नष्ट हो जाने से शरीर व मन में स्थिरता का अविर्भाव होता है। शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। शरीर ही मन और बुद्धि की सहायता से आत्मा को संसार के बंधनों से योगाभ्यास द्वारा मुक्त कर सकता है। शरीर बृहत्तर ब्रह्मांड का सूक्ष्म रूप है। अत: शरीर के स्वस्थ रहने पर मन और आत्मा में संतोष मिलता है।
आसन एक वैज्ञानिक पद्धति है। ये हमारे शरीर को स्वच्छ, शुद्ध व सक्रिय रखकर मनुष्य को शारीरिक व मानसिक रूप से सदा स्वस्थ बनाए रखते हैं। केवल आसन ही एक ऐसा व्यायाम है जो हमारे अंदर के शरीर पर प्रभाव डाल सकता है।
3. आसन और व्यायाम : आसन और अन्य तरह के व्यायामों में फर्क है। आसन जहाँ हमारे शरीर की प्रकृति को बनाए रखते हैं वहीं अन्य तरह के व्यायाम इसे बिगाड़ सकते हैं। जिम या अखाड़े के शरीर- शरीर के साथ किए गए अतिरिक्त श्रम का परिणाम होते हैं जो सिर्फ दिखने के ही होते हैं। बॉडी की एक्स्ट्रा एनजी एनर्जी को डिस्ट्रॉय करना है।
4. आसनों के प्रकार : 1.बैठकर किए जाने वाले आसन। 2.पीठ के बाल लेटकर किए जाने वाले आसन। 3.पेट के बाल लेटकर किए जाने वाले आसन और 4. खड़े होकर किए जाने वाले आसन।
4. खड़े होकर : ताड़ासन, वृक्षासन, अर्धचंद्रमासन, अर्धचक्रासन, दो भुज कटिचक्रासन, चक्रासन, पादहस्तासन आदि।
5. अन्य : शीर्षासन, मयुरासन, सूर्य नम:स्कार आदि।
5. अन्य प्रकार : 'आसनानि समस्तानियावन्तों जीवजन्तव:। चतुरशीत लक्षणिशिवेनाभिहितानी च।'- अर्थात संसार के समस्त जीव जन्तुओं के बराबर ही आसनों की संख्या बताई गई है। इस प्रकार 84000 आसनों में से मुख्य 84 आसन ही माने गए हैं। उनमें भी मुख्य आसनों का योगाचार्यों ने वर्णन अपने-अपने तरीके से किया है। इस आधार पर योग के आसनों को हम मुख्यत: छह भागों में बांट सकते हैं:-
(A).पशुवत आसन: पहले प्रकार के वे आसन जो पशु-पक्षियों के उठने-बैठने और चलने-फिरने के ढंग के आधार पर बनाए गए हैं जैसे-