भूचरी मुद्रा की विधि:-
- सबसे पहले आप सुखासन में बैठकर कमर सीधी रख लें।
- अब हथेलियों को ऊपर की ओर करके अपनी जांघों या घुटनों पर रखें।
- अब आंखें बंद करें और गहरी श्वास लें व नाक से ही श्वास छोड़ें।
- एक हाथ उठाएं और अंगूठे से ऊपर के होठ को हल्का दबाएं, हथेली नीचे की ओर होनी चाहिए। कोहनी की सीध में अंगुलियां हों।
लाभ:-
भूचरी मुद्रा कई प्रकार के शारीरिक मानसिक कलेशों का शमन करती है। इसका नियमित अभ्यास न सिर्फ याददाश्त बढ़ाने में मदद करता है बल्कि यह मानसिक शांति भी देता है। साथ ही इसके नियमित अभ्यास से अधिक गुस्से पर काबू पाया जा सकता है। कुम्भक के अभ्यास द्वारा अपान वायु उठाकर हृदय स्थान में लाकर प्राण के साथ मिलाने का अभ्यास करने से प्राणजय होता है, चित स्थिर होता है तथा सुषुम्ना मार्ग से प्राण संस्पर्श के ऊपर उठने की संभावना बनती है।