उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर फैलने लगता है और चेहरे पर झुर्रियां भी दिखाई देने लगती है। ऐसे में हम चेहरे की चमक या कांति खो बैठते हैं। आंखों के नीचे कालापन भी आ जाता है। ऐसा महसूस होने लगता है कि हम अधेड़ता या बुढापे की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे में आप योग की कुछ सामान्य सी टिप्स अपनाकर खोई हुई जवानी पुन: प्राप्त कर सकते हैं।
1. प्राणायम : इसके लिए सबसे पहले आपको अनुलोम विलोम में अभ्यस्त होना पड़ेगा फिर इसके बाद भ्रस्तिका और कपालभाति प्राणायाम करें। फिर श्वास लेने और छोड़ने का झंझावात खड़ा कर दें। ऐसा जो आपके तन-मन को झकझोर दे।
2. पागल बन जाएं : प्राणायम के दौरान ही चीखें, चिल्लाएं, नाचें, गाएं, रोएं, कूदें, हंसें या फिर पूरी तरह से पागल हो जाएं। सिर्फ 5 मिनट के लिए ऐसा करें। यह रेचक प्रक्रिया है, जिससे जो कुछ भी दमित है वह बाहर हो जाता है। इससे अनावश्यक चर्बी घटकर बॉडी फिट रहती है और भीतर जो भी दूषित वायु और विकार हैं, उसके बाहर निकलने से चेहरे और शरीर की कांति बढ़ती है।
3. ध्यान : इसके बाद रिलेक्स होकर 10 मिनट का ध्यान करें।
4. मालिश : इसके बाद कभी भी जेतुन या सरसों के तेल की मालिश करें। इससे मांस-पेशियां पुष्ट होती हैं। दृष्टि तेज होती है। सुख की नींद आती है। शरीर में शक्ति उत्पन्न हो शरीर का वर्ण सोने के समान हो जाता है। मालिश से रक्त संचार सुचारू रूप से चलता है। स्वच्छ खून जब धमनियों में दौड़ने लगता है तो वह शरीर को कांतिमय बना देता है। इससे तनाव, अवसाद भी दूर होता है। तब पूरे बदन का घर्षण, दंडन, थपकी, कंपन और संधि प्रसारण के तरीके से मालिश कराएँ।
5. शरीर से प्यार : क्या आपने कभी स्वयं के शरीर से प्यार किया है? यदि नहीं तो करें। उसे निहारें और सचमुच ही उसका सम्मान करें। उसे हर तरह के कष्टों से बचाने का प्रयास करें। खासकर मन के कष्टों से वह बहुत प्रभावित होता है। योग में कहा गया है कि क्लेश से दु:ख उत्पन्न होता है दु:ख से शरीर रुग्ण होता है। रुग्णता से स्वास्थ्य और सौंदर्य नष्ट होने लगता है।
अब इसके अलावा यह भी आजमा सकते हैं:-
1. गर्दन, चेहरे और आंखों के लिए:- गर्दन, चेहरे और आंखों का सुंदर दिखने में महत्वपूर्ण योगदान है। इसके लिए ब्रह्म मुद्रा करें, जिससे गर्दन में लचीलापन आएगा और गर्दन सुराही जैसी सुंदर दिखने लगेगी। अब गर्दन स्थिर रखते हुए आंखों को दाएं-बाएं, उपर-नीचे घुमाएं, फिर गोलाकार दाएं से बाएं, फिर बाएं से दाएं घुमाएं। इससे आंखें स्वस्थ्य और सुंदर बनी रहेगी।
2. योग मुद्राएं : अब हाथ के अंगूठे को कान के छिद्रों पर, मध्यमा को नासिका पुटों पर तथा शेष दो अंगुलियों को होठों पर जमाएं। नाक के छिद्रों को ढीला रखते हुए गहरी श्वास लें। फिर सभी अंगुलियों को दबाते हुए मुंह हवा से फुलाएं। अब ढोड़ी को कंठ से लगाते हुए हवा का दबाव पूरे चेहरे पर महसूस करें। अंगुलियों का दबाव बनाते हुए आसानी से जितना रुक सकें रुकें। फिर धीरे से श्वास बाहर छोड़ दें। यह पूरी प्रक्रिया तीन से पांच बार करें। इससे चेहरे की प्रफुल्लता व कांति बढ़ेगी।
3. आहार : पानी का उचित सेवन करें, ताजा फलों के जूस, दही की छाछ, आम का पना, इमली का खट्टा-मीठा जलजीरा, बेल का शर्बत आदि तरल पदार्थों को अपने भोजन में शामिल करें। ककड़ी, तरबूज, खरबूजा, खीरा, संतरा, बेल तथा पुदीने का भरपूर सेवन कारते हुए मसालेदार या तैलीय भोज्य पदार्थ से बचें।
4. योगा पैकेज : नौकासन, हलासन, ब्रह्म मुद्रा, पश्चिमोत्तनासन, सूर्य नमस्कार। प्राणायम में शीतली, भ्रामरी और भस्त्रिका या यह नहीं करें तो नाड़ी शोधन नियमित करें। सूत्र और जल नेति का अभ्यास करें। मूल और उड्डीयन बंध का प्रयोग भी लाभदायक है। पांच मिनट का ध्यान अवश्य करें।