एफआईआई ने की जोरदार खरीदी

मंगलवार, 1 अप्रैल 2008 (19:28 IST)
- शैलेन्द्र कोठार

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान निचले स्तर पर विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा आक्रामक खरीदी प्रारंभ कर दिए जाने के प्रभाव से निफ्टी कुल 368 प्वॉइंट्स उछलकर 4942 पर बंद हुआ। बैंकिंग, केपिटल गुड्स, एफएमसीजी, आईटी, मेटल एवं पॉवर सहित लगभग सभी सेक्टरों के प्रमुख शेयरों ने बढ़त ली। इसके साथ ही स्माल एवं मिड केप कंपनियों के भाव भी तेजी से सुधरे। चौतरफा बढ़त के कारण बाजार में अभी माना जा रहा है कि यह एक तकनीकी सुधार है तथा अनिश्चितता की प्रवृत्ति से बाहर आने के लिए बाजार में सतत खरीदी समर्थन की जरूरत है।

बाजार में अनिश्चित उठा-पटक की स्थिति काबू में आने के साथ ही आकर्षक भावों पर मिल रहे ब्लूचिप शेयरों में विदेशी फंड मैनेजरों की खरीदी प्रारंभ हो गई है। केपिटल मार्केट सेगमेंट में मार्च महीने के दौरान 18 तारीख तक लगभग 3211 करोड़ रु. का नेट बेचान कर चुके विदेशी निवेशकों ने 19 से 27 मार्च तक यानी सिर्फ 5 ट्रेडिंग सत्रों में 3195 करोड़ रु. की नेट खरीदी करते हुए मार्च में खरीदी-बिक्री का आँकड़ा लगभग बराबर कर लिया है।

19 से 27 मार्च के दौरान एफआईआई ने इंडेक्स फ्यूचर में 4031 करोड़ रु. तथा स्टॉक फ्यूचर में 713 करोड़ रु. की नेट खरीदी की है। इस प्रकार 5 ट्रेडिंग दिनों में सभी सेगमेंटो में नेट 7939 करोड़ रु. की खरीदी करते हुए विदेशी फंड मैनेजरों ने साफ संकेत दे दिए हैं कि भारत में वैल्यूएशन दीर्घावधि खरीदी के लिए उपयुक्त है। उल्लेखनीय है कि बीएसई सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों की वित्तीय वर्ष 2009 के लिए साझा रूप से अनुमानित प्रति शेयर आय 1000 रु. है और अभी यह 16.37 के पीई रेशो पर ट्रेड हो रहा है।

बाजार सूत्रों का कहना है कि हालाँकि एफआईआई ने फ्रंटलाइन शेयरों में खरीदी की है, लेकिन इसके सकारात्मक प्रभाव से स्माल एवं मिड केप शेयरों के भी भाव बढ़ रहे हैं। बजट के बाद से बाजार में आई मंदी में सबसे बुरी हालत इन्हीं शेयरों को हुई थी, क्योंकि गिरावट के दौर में ऑपरेटर सबसे पहले बाजार छोड़कर भागते हैं और स्माल एवं मिड केप काउंटरों को संभालने वाला कोई नहीं रहता परिणामस्वरूप भाव इस कदर घटते हैं कि इन्हें देखकर आम निवेशकों के बस प्राण ही नहीं निकलते हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि इस बार की मंदी किसी स्केम का नहीं बल्कि अत्यधिक सट्टात्मक पोजीशन के सौदे बेचने का नतीजा है। खरीदते समय फंडामेंटल्स देखने की फुर्सत किसी को नहीं रहती, क्योंकि माहौल तेजी का रहता है। बेचते समय भी यही स्थिति बनती है, क्योंकि भय एवं घबराहट का वातावरण रहता है। इस माहौल में मध्यम अवधि निवेशक भले ही होश खो रहे हो किंतु कंपनियों को वर्तमान वैल्यूएशन फायदे का सौदा लग रही है। तथा कई कंपनियाँ बाय बैक प्रस्ताव लेकर आ रही हैं।

मद्रास सीमेंट के बाद रिलायंस एनर्जी ने भी खुले बाजार से अपने शेयर खरीदना प्रारंभ कर दिए हैं। जेबी केमिकल्स ने 8 अप्रैल को होने वाली मीटिंग में बायबैक प्रस्ताव रखा है। मद्रास सीमेंट ने तो 6447.26 लाख रु. के प्रस्तावित बाय बैक को 19 मार्च तक 96.05 प्रश यानी लगभग पूरा कर लिया है। अभी अंतरप्रवृत्ति कमजोर है इसलिए शेयर पुनर्खरीदी का प्रत्यक्ष असर मद्रास सीमेंट एवं रिलायंस एनर्जी के भावों पर पड़ता नहीं दिख रहा है। किंतु ऐसा तो हिन्दुस्तान यूनिलीवर द्वारा किए गए बायबैक के समय भी हुआ था किंतु अब मंदी के दौर में शेयर के भाव मजबूत बने हुए हैं।

बहरहाल, आईपीओ बाजार में आगामी कुछ दिनों तक कोई इश्यू नहीं है। टीटागढ़ वेगंस को संस्थागत निवेशकों का अच्छा रिस्पांस मिला है। 540 रु. के लोअर प्राइस बैंड पर क्यूआईबी पोर्शन 10.37 गुना सबस्क्राइब हुआ है हालाँकि रिटेल पोर्शन 97 प्रश ही भराया है। किरी डाइज का इश्यू 2 अप्रैल को बंद होगा फिलहाल इश्यू 57 प्रश सबस्क्राइब हुआ है।
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मार्च में एफआईआई की नेट खरीदी-बिक्री

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