नित नई ऊँचाई पर पहुँच रहा क्रूड, लगातार बढ़ती महँगाई दर और विदेशी संस्थागत निवेशकों के पीछे हटने से अब शेयर बाजार में जान नहीं बची है। फंडामेंटल मजबूत होने के बावजूद अब शेयर बाजार में निवेश लंबी अवधि का रह गया है और यह अवधि कितनी लंबी है, कहना कठिन है क्योंकि विश्लेषकों को कहीं स्पष्ट दिशा नहीं दिख रही। दुनिया में तकनीकी विश्लेषण के लिए मशहूर इलियट वेब का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार मौजूदा बॉटम से जल्दी नहीं उठा तो बीएसई सेंसेक्स 10 हजार अंक पर दिखाई देगा।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ने अचानक छलाँग लगाकर 142 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को छू लिया है और अब इसके 150 डॉलर प्रति बैरल की भविष्यवाणी के मुताबिक आगे बढ़ने के साफ आसार दिख रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड में आठ लाख करोड़ का ओपन इंटरेस्ट दिख रहा है, जिससे क्रूड का 170 डॉलर प्रति बैरल पहुँचने के आसार बनते जा रहे हैं।
क्रूड में लग रही आग समूची दुनिया की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान कर रही है। चीन हो या भारत सभी देशों को अपनी आर्थिक विकास दर 10 फिर 9 और बाद में 8 फीसदी तक करनी पड़ रही है। जैसे-जैसे क्रूड आगे बढ़ रहा है, महँगाई भी सुरसा की तरह मुँह फैला रही है और महँगाई दर अब 11.42 फीसदी पहुँच गई है, नतीजन विकास दर का अनुमान घटता जा रहा है।
भारतीय शेयर बाजार में अहम भूमिका निभा रहे विदेशी संस्थागत निवेशक भी अब अपना पैसा यहाँ से खींचकर ले जा रहे हैं। इन निवेशकों ने जून 2008 में 9400 करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं। चालू कैलेंडर वर्ष में ये निवेशक अब तक 25 हजार करोड़ रुपए से अधिक के शेयर बेच चुके हैं, जिससे ढेरों कंपनियों के शेयरों के दाम आधे से कम हो चुके हैं।
इस बीच, विश्व विख्यात तकनीकी विश्लेषक इलियट ने साफ कहा है कि यदि भारतीय शेयर बाजार मौजूदा स्तर से ऊपर की ओर नहीं उठे तो बीएसई सेंसेक्स 10 हजार अंक तक जा सकता है। तकनीकी स्तर पर भारतीय शेयर बाजार इस समय उस स्तर पर जहाँ से यह उठ सकता है और ऐसे ही स्तरों पर एक समय ऑस्ट्रेलियाई शेयर बाजार उठा था।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्स 30 जून से शुरू हो रहे सप्ताह में ऊपर में 14217 और नीचे में 13217 अंक के बीच रहेगा। जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई का निफ्टी 4260 से 3933 अंक के बीच रहने की संभावना है। लेकिन शेयर बाजार में यह उतार-चढ़ाव तेज हो सकता है क्योंकि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गाँधी देश को चुनावों के लिए तैयार रहने को कहा है।
अगले सप्ताह वामपंथी दलों के साथ दूसरे दल भी इस मोर्चे पर अपनी गतिविधियाँ बढ़ाएँगे। भारत-अमेरिका परमाणु करार पर अब कांग्रेस और वामपंथी दलों के बीच खुलकर बयानबाजी होगी, जिसका शेयर बाजार पर प्रतिकूल असर दिखाई देगा। कांग्रेस ने इस करार को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है, लेकिन अब इस बात में दम नजर आने लगा है कि इतने अहम मसले पर आम जनता की राय लेनी चाहिए।
इस सप्ताह निवेशक गेमन इंडिया, असंल प्रॉपर्टीज, एरीज एग्रो, ग्रेमेक इंफ्रास्ट्रक्चर, केसीपी, एचसीएल इंफोसिस्टम्स, ब्लू स्टार इन्फोटेक, बीएसईएल इंफ्रास्ट्रक्चर, जयंत एग्रो, पीवीआर, डाबर, ग्रेफाइट, एस्सल फ्रंटलाइन और मुंद्रा पोर्ट पर ध्यान दे सकते हैं। इस सप्ताह आदित्य बिड़ला नुवो, बायोकॉन, कर्नाटक बैंक, किर्लोस्कर ब्रदर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, मर्केटर लाइंस, ओरिएंट पेपर, डॉ. रेड्डी लैब, काबरा एक्सट्रूजन, प्लास्टिबैंड, रिलायंस इंफ्रा, थिरुमलाई कैमिकल, नेशनल पैरोक्साइड, नोवार्टिस और ओरिएंट एब्रेसीव के नतीजों पर बाजार की नजर रहेगी।
निवेशकों को इस समय ऐसी कंपनियों में निवेश करना चाहिए जो कर्ज बोझ से मुक्त हो। ऐसी कंपनियाँ उच्च ब्याज बोझ के तले नहीं दबेगी। अनेक खिलाड़ियों की नजरें इन दिनों ऐसी कंपनियों पर ही हैं और वे इनमें कारोबार कर रहे हैं।
इंफोसिस, अवेंटिस फार्मा, फाइजर, अस्ट्राजेनेका फार्मा, एफएजी बियरिंग्स, मर्क, इसाब इंडिया, अल्फा लावल, कोलगेट पामोलिव, जीएसके फार्मा, केस्ट्रॉल, नेस्ले, प्राज इंडस्ट्रीज, क्रिसिल, आईसीआई, 3 एस इंडिया और ब्लू डॉर्ट जैसी ढेरों कंपनियाँ हैं, जो कर्ज मुक्त हैं। * यह लेखक की निजी राय है। किसी भी प्रकार की जोखिम की जवाबदारी वेबदुनिया की नहीं होगी।