तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन: 'भारत के सरकारी कार्यालयों में हिन्दी के कामकाज की स्थिति उस रथ जैसी है जिसमें घोड़े आगे की बजाय पीछे जोत दिए गए हों।' उक्त विचार हिन्दी की सुप्रसिद्ध संवेदनशील कवियत्री महादेवी वर्मा ने तीसरे विश्व हिन्दी सम्मेलन के समापन अवसर पर व्यक्त किए थे।