देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति नरेन्द्र कुमार धाकड़ ने स्वतंत्रता के पश्चात शिक्षा में आए बदलावों पर वेबदुनिया से चर्चा करते हुए कहा कि पूर्व में शिक्षा मंदिरों, आश्रमों, गुरुकुलों के माध्यम से दी जाती थी। पुरोहित, पंडित और संन्यासी शिक्षा प्रदान करने का काम करते थे। प्राचीन शिक्षा पद्धति में औपचारिक एवं अनौपचारिक शिक्षा का विभिन्न धर्मसूत्रों में उल्लेख मिलता है। उस दौर में बच्चे की शिक्षा की शुरुआत परिवार से हो जाती थी।