इंदौर के नेता की कथनी और करनी में फर्क है। कहना क्या और करना क्या। हाल ही में वेबदुनिया द्वारा इंदौर की ऐतिहासिक धरोहर लाल बाग में तमाम आयोजनों को लेकर दी जा रही अनुमति को लेकर की गई पड़ताल में कुछ इसी तरह का खुलासा हुआ है।
दरअसल, लाल बाग में आए दिन होने वाले मेलों- ठेलों, सर्कस और गरबा आयोजनों की वजह से इस धरोहर को काफी नुकसान पहुंच रहा है, लेकिन बावजूद इसके यहां इन आयोजनों को पुरातत्व विभाग की तरफ से बेधड़क अनुमति दी जा रही है। हैरान करने वाली बात यह है कि मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम की तरफ से सख्त मनाही है कि लाल बाग में किसी तरह के आयोजन की अनुमति नहीं दी जाए, लेकिन पुरातत्व विभाग के ऊपर इंदौर के के नेताओं और जनप्रतिनिधियों का इस कदर राजनीतिक दबाव आ रहा है कि उन्हें अनुमति देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। नतीजा यह है कि मां अहिल्या, होल्कर राजवंश और इंदौर की तासीर से जुड़े लाल बाग जैसी धरोहर का संरक्षण कम और क्षरण ज्यादा हो रहा है।
लाल बाग आयोजनों के लिए इंदौर के नेता डालते हैं पुरातत्व और पर्यटन विकास पर दबाव
लाल बाग की अनुमति के लिए फोन पर दिखाया जाता है राजनीतिक रसूख
संरक्षण करने की बजाए नेता ही पहुंचा रहे ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान
चिट्ठी में ना तो अनुमति को कैसे हां : दरअसल, वेबदुनिया को जानकारी लगी कि मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम की तरफ से पुरातत्व विभाग को चिट्ठी लिखकर साफ शब्दों में कहा गया है कि जब तक लाल बाग में कई तरह के प्रिजर्वेशन, रिस्टोरेशन और निर्माण कार्य चल रहे हैं, तब तक इंदौर के होल्कर राजघराने से जुड़े लाल बाग में किसी भी तरह के आयोजनों की अनुमति नहीं दी जाए। लेकिन आए दिन इंदौर के ऐतिहासिक लाल बाग में कोई न कोई आयोजन होता ही रहता है। मेलों- ठेलों से लेकर सर्कस आदि तो यहां आम बात है। सवाल यह है कि जब पर्यटन निगम की तरफ से अनुमति की साफ मनाही है तो फिर मां अहिल्या और होल्कर राजवंश की ऐतिहासिक धरोहर में आए दिन होने वाले इन आयोजनों की अनुमति कैसे मिल जाती है। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के दिशा निर्देशों का पालन क्यों नहीं हो पा रहा है। बता दें कि वेबदुनिया के पास पर्यटन विकास निगम द्वारा लिखी गई चिट्ठी भी है।
इंदौर के किन नेताओं के दबाव में मिल रही अनुमति : सूत्रों से जानकारी सामने आई कि पुरातत्व विभाग तो मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के दिशा निर्देशों का पालन करना चाहता है। लेकिन इंदौर कुछ नेता और जनप्रतिनिधियों की राजनीति इतनी हावी है कि वे मां अहिल्या की इस ऐतिहासिक धरोहर का अपने स्वार्थों के लिए इस्तेमाल करने से भी नहीं चूक रहे हैं। दरअसल, जब पुरातत्व विभाग पर्यटन विकास निगम की चिट्ठी का हवाला देकर अनुमति देने के लिए मना करता है तो इंदौर के किसी न किसी नेता का फोन आ जाता है। न चाहते हुए भी मजबूर होकर विभाग को इंदौर के नेताओं के दबाव में आकर आयोजनों की अनुमति देना पड़ती है। वेबदुनिया के एक सूत्र ने बताया कि हम अनुमति देना पहले टालते हैं, कोई आता है तो हम मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम की चिट्ठी का हवाला देते हैं या उन्हें कह देते हैं कि पर्यटन विकास निगम के अधिकारियों से चर्चा करें। लेकिन बाद में वहां से जो भी निर्देश मिलते हैं, हम बस उनका पालन करते हैं।
फ्री फोकट में ही हो रहे आयोजन : इंदौर के नेताओं और जनप्रतिनिधियों के दबाव कहानी सिर्फ लाल बाग की जगह का इस्तेमाल करने तक ही सीमित नहीं है, नेताओं के प्रेशर का आलम यह है कि कई बार लाल बाग में आयोजन के लिए निर्धारित शुल्क ही नहीं दिया जाता है। हाल ही में नेताओं द्वारा किया जा रहा एक गरबा आयोजन का शुल्क तक नहीं दिया गया। बताया जा रहा है कि इसके लिए भी किसी बड़े नेता ने पुरातत्व विभाग को फोन किया था। बता दें कि अनुमति मिलने पर लाल बाग के लिए प्रतिदिन करीब 55 हजार रुपए शुल्क जमा करना होता है। लेकिन हाल ही में किए जा रहे गरबा आयोजन के लिए भी शुल्क नहीं दिया गया।
इन नेताओं के पोस्टर बैनर से पटा लालबाग का गेट : बता दें कि इन दिनों नवरात्रि के दौरान यहां गरबा का आयोजन किया जा रहा है। यहां जो पोस्टर और बेनर लगे हैं, उनमें संयोजक अभय दुबे, आयोजक सौगात मिश्रा के साथ विधायक मधुकर वर्मा, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, भाजपा जिला अध्यक्ष सुमित मिश्रा समेत कई नेताओं के पोस्टर और बैनर नजर आ रहे हैं। राजनीतिक झंडों से प्रवेश द्वार को इस कदर ढंक दिया गया है कि लाल बाग का गेट ढूंढते ही रह जाएंगे।
क्या कहा जिम्मेदारों ने? अगले साल से बंद हो जाएंगे सभी आयोजन : इस बारे में पूर्व महापौर और क्षेत्र की विधायक मालिनी गौड़ ने वेबदुनिया को बताया कि संस्कृति विभाग यहां एक बड़ा बगीचा बनाने जा रहा है, इसके साथ ही कई तरह के विकास कार्य यहां होने हैं, इसके बाद यहां सभी तरह की गतिविधियां बंद कर दी जाएगी। इस साल और यहां कुछ गतिविधि हो सकती है, लेकिन अगले साल से सभी तरह के आयोजन बंद हो जाएंगे।
क्या कहा सांसद लालवानी ने :सांसद शंकर लालवानी ने इस बारे में बताया कि लाग बाग में आयोजन के लिए पुरातत्व विभाग अनुमति देता है। आपने ध्यान दिलाया है तो मैं विभाग के अधिकारियों से बात करता हूं कि जिन लोगों को वे स्थान देते हैं, वे धरोहर का ख्याल क्यों नहीं रखते। मैं गंभीरता से इस विषय पर उनसे बात करूंगा।
पुरातत्व विभाग इंदौर के डिप्टी डायरेक्टर प्रकाश परांजपे ने बताया कि सभी तरह के आयोजनों की अनुमति पुरातत्व विभाग आयुक्त की तरफ से दी जाती है। उनकी तरफ से जो भी आदेश आता है, हम उसका पालन करते हैं।
राजनीतिक दखल न हो तो अच्छा : बता दें कि जल्द ही लाल बाग को कई तरह के विकास कार्यों की सौगात मिलने वाली है, ऐसे अगर हमारे जनप्रतिनिधि इस धरोहर को अपने स्वार्थों के लिए इस्तेमाल करने में राजनीतिक दखलअंदाजी नहीं करेंगे तो यह स्थान अपने पर्यटन और गरिमा के लिए पहचाना जाता रहेगा।